Tuesday, July 8, 2025

झारखंड बीजेपी में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के लिए घमासान [There is a tussle for leader of opposition and state president in Jharkhand BJP]

रांची। झारखंड बीजेपी में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए घमासान मचा है। कौन नेता प्रतिपक्ष बनेगा और कौन प्रदेश अध्यक्ष? इस पर अभी सस्पेंस बना हुआ है। ओबीसी, सामान्य और अनुसूचित जाति/जनजाति के नेताओं के बीच ‘कुर्सी की दौड़’ शुरू हो गई है।

इसमें कई नेताओं के नाम चल रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व की नज़र ओबीसी नेताओं पर है, जिससे ओबीसी राजनीति को बढ़ावा मिल सकता है। इन नियुक्तियों से पार्टी की अगले पांच साल की रणनीति तय होगी। कई नेता दिल्ली में संपर्क साध रहे हैं और अमित शाह से मिलने की होड़ मची है।

झारखंड बीजेपी में फिलहाल, प्रदेश अध्यक्ष पद की चर्चा ज़्यादा गरमाई हुई है। इस पद के लिए कौन सा चेहरा चुना जाएगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि नेता प्रतिपक्ष कौन बनता है।

दरअसल नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष पद एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। अगर बाबूलाल मरांडी नेता प्रतिपक्ष बनते हैं, तो प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी किसी ओबीसी नेता को मिलेगी। लेकिन अगर नेता प्रतिपक्ष सामान्य या पिछड़ा वर्ग से होता है, तो प्रदेश अध्यक्ष अनुसूचित जाति या जनजाति से होगा।

ओबीसी नेताओं पर केंद्रीय नेतृत्व की नजरः

जानकारी के मुताबिक, प्रदेश अध्यक्ष के लिए बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व ओबीसी नेताओं पर ज्यादा ध्यान दे रहा है। यदि ऐसा हुआ, तो झारखंड बीजेपी एक बार फिर ओबीसी राजनीति को प्रमुखता देगी। इस दौड़ में पूर्व मुख्यमंत्री और हाल ही में ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने वाले रघुवर दास भी शामिल हैं।

बीजेपी की भावी रणनीति का होगा खुलासाः

जानकारी के अनुसार इन दोनों पदों की नियुक्ति के जरिए बीजेपी अगले पांच साल के लिए अपनी राजनीतिक और सामाजिक रणनीति को आकार देगी। इसके अलावा, विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक और सचेतक की नियुक्तियों पर भी चर्चा जारी है।

कई वरिष्ठ नेता जमे दिल्ली मेः

इस बीच, कई सांसद, विधायक और वरिष्ठ नेता दिल्ली में अपने संपर्कों को मजबूत करने में जुटे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने की होड़ भी तेज हो गई है।

हाल ही में राज्यसभा सांसद आदित्य प्रसाद साहू और धनबाद सांसद ढुल्लू महतो ने संयुक्त रूप से शाह से मुलाकात की, जबकि हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल ने उनसे अलग से भेंट की। इन मुलाकातों को प्रदेश अध्यक्ष पद की दावेदारी से जोड़कर देखा जा रहा है।

ये हैं संभावित दावेदारः

सबसे पहले ओबीसी की बात करें, तो रघुवर दास सबसे आगे हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री और दो बार प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। हाल ही में ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर फिर से राज्य की राजनीति में सक्रिय हो रहे हैं।

इस वर्ग में दूसरा नाम आदित्य प्रसाद साहू का है। वह वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं और पार्टी संगठन में प्रदेश महामंत्री के पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले वे प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।
आब बात मनीष जायसवाल की, तो वह हजारीबाग से सांसद हैं। वह पहले विधायक के रूप में कार्य कर चुके हैं।

राकेश प्रसाद भी इस दौड़ में शामिल हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष और बीजेपी के सदस्यता अभियान के प्रभारी रह चुके हैं। वे दो बार प्रदेश बीस सूत्री कार्यान्वयन समिति के उपाध्यक्ष भी रहे हैं।

अब आपको बताते हैं सामान्य वर्ग से संभावित लोगों के नाम:

इनमें पहले हैं रवींद्र राय। वह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, राज्य सरकार में मंत्री और सांसद के रूप में अनुभव रखते हैं। वर्तमान में प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे हैं।

इस वर्ग में दूसरा नाम है अनंत ओझा का। वह विद्यार्थी परिषद की पृष्ठभूमि से आते हैं। पूर्व विधायक, भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष और बीजेपी प्रदेश महामंत्री भी रह चुके हैं।

दलित वर्ग से संभावित नामों पर गौर करें, तो अमर कुमार बाउरी का नाम सामने आया है। अमर कुमार बाउरी पूर्व विधायक और नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। वे एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

प्रदेश अध्यक्ष पद पर अब तक का समीकरणः

झारखंड में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर अब तक सबसे ज्यादा नेता सामान्य वर्ग से आए हैं। झारखंड गठन के बाद इस पद पर पहले अभयकांत प्रसाद को नियुक्त किया गया था। इसके बाद यदुनाथ पांडेय, रवींद्र राय, पीएन सिंह और दीपक प्रकाश ने यह जिम्मेदारी संभाली।

ओबीसी से अब तक सिर्फ रघुवर दास ही दो बार प्रदेश अध्यक्ष बने हैं, जबकि आदिवासी समुदाय से प्रो. दुखा भगत और बाबूलाल मरांडी को यह पद मिला है। वर्तमान में बाबूलाल मरांडी प्रदेश अध्यक्ष हैं, और बीजेपी के संविधान के अनुसार वे दोबारा इस पद पर आ सकते हैं।

पहले नेता प्रतिपक्ष का चुनावः

मौजूदा परिस्थिति में पहले नेता प्रतिपक्ष का चुनाव होगा, जिसके बाद प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। यही कारण है कि इस समय बाबूलाल मरांडी का नाम प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में अपेक्षाकृत कम सुर्खियों में है।

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