नई दिल्ली, एजेंसियां। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पांच नई भाषाओं को ‘शास्त्रीय भाषा‘ यानी क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा देने को मंजूरी दे दी। इसमें मराठी, बंगाली, असमिया, पाली और प्राकृत शामिल है।
इसके साथ ही अब भारत में शास्त्रीय भाषाओं की संख्या बढ़कर 11 हो गई है।
इस आधार पर मिलती है मान्यताः
केंद्र सरकार ने 2004 में “शास्त्रीय भाषा” की एक कैटेगरी बनाई थी। शास्त्रीय भाषा के मानदंडो के अनुसार, भाषा का 1500 से 2000 पुराना रिकॉर्ड होना चाहिए।
इसके साथ ही भाषा का प्राचीन साहित्य या ग्रंथो का संग्रह होना चाहिए। तमिल 2004 में शास्त्रीय भाषा का दर्जा पाने वाली पहली भाषा थी। उसके बाद 2005 में संस्कृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।
इसके बाद तेलुगु, कन्नड, मलयालम और उड़िया को क्रमशः शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता मिली थी।
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