Monday, July 7, 2025

झारखंड में सत्ताबदल के बाद क्या ? [What after the change of government in Jharkhand?]

रांची। कुर्सी किसी की नहीं होती। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार कहा था- मैं तो इस कुर्सी को छोड़ना चाहता हूँ लेकिन ये कुर्सी मुझे नहीं छोड़ती।

फिर जल्द ही वक्त बदला और अगले ही चुनाव के बाद गहलोत को कुर्सी छोड़नी पड़ी। वक्त ने उनकी कुर्सी छीन ली।

हो सकता है झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल में डालना वक्त का ग़लत निर्णय हो, लेकिन जेल से निकलते ही उनका फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का निर्णय कितना सही है, ये भी वक्त ज़रूर बताएगा।

चंपई सोरेन ने भी बुद्धिमानी दिखाई, वह बिहार के जीतनराम माँझी की तरह कुर्सी से नहीं चिपके, वर्ना कुछ भी हो सकता था।

हालांकि राजनीतिक तक़ाज़ा कुछ और कहता है। यह कहता है कि हेमंत सोरेन सत्ता से दूर रहते तो अगले विधानसभा चुनाव में उन्हें और उनकी पार्टी को इसका ज़्यादा फ़ायदा मिलता। क्योंकि राज्य में चुनाव के लिए मात्र चार-साढ़े चार महीने ही बचे हैं।

ऐसे में हेमंत थोड़ा सा धैर्य दिखाते तो उनकी जीत अगले चुनाव में सौ प्रतिशत पक्की हो सकती थी।

हो सकता है वे अब भी जीत जाएं, लेकिन अगले चार- साढ़े चार महीनों तक उनके राज के दौरान एंटी इन्कंबेन्सी कितनी बढ़ेगी यह अभी से कहा नहीं जा सकता।

सहानुभूति हो सकती है कम

यह ज़रूर है कि जेल जाने के कारण उनके प्रति जो सहानुभूति उपजी थी, उसमें कमी आ सकती है।

चंपई सोरेन भले ही थुछ ना कहें, वे चुप हैं, लेकिन निश्चित तौर पर इस फ़ैसले ने उन्हें कचोटा तो जरूर ही होगा।

क्योंकि जब उनसे खुद के इस्तीफ़े या सत्ता परिवर्तन का कारण पूछा गया तो उन्होंने तपाक से यह नहीं कहा कि हेमंत सोरेन या शिबू सोरेन के प्रति अपार श्रद्धा के कारण उन्होंने ऐसा किया है, जैसा कि अक्सर नेता लोग कहते रहते हैं। उन्होंने केवल यह टका सा जवाब दिया कि यह गठबंधन का निर्णय है।

सही मायने में कहा जाए तो निजी कारण से ही नहीं, बल्कि राजनीतिक परिपक्वता के तक़ाज़े के कारण भी चंपई सोरेन इस फ़ैसले से संतुष्ट नहीं हो सकते।

वे अच्छी तरह जानते हैं कि विधानसभा चुनाव सिर पर हों तब इस तरह के राजनीतिक फ़ैसले किसी हाल में सही नहीं कहे जा सकते।

बहरहाल आगे क्या होगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है। हां, इतना जरूर है कि हेमंत सोरेन ने जेल से छूटने के बाद जिस उलगुलान को शुरू करने की बात कही थी, उसका क्या होगा।

क्योंकि सीएम की कुर्सी पर बैठने के बाद महज चार महीने में ही उन्हें सरकार के कामकाज को निपटाने की भी चुनौती का सामना करना है।

इसे भी पढ़ें

चम्पाई सोरेन का अब क्या होगा?

Hot this week

Bariatu Housing Colony: बरियातू हाउसिंग कॉलोनी में मनचलों और नशेड़ियों से सब परेशान, एक धराया [Everyone is troubled by hooligans and drunkards in Bariatu...

Bariatu Housing Colony: रांची। बरियातू हाउसिंग कॉलोनी एवं यूनिवर्सिटी कॉलोनी...

झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की अधिसूचना जारी [Notification issued for the second phase of Jharkhand assembly elections]

आज से नामांकन, 38 सीटों पर होगा मतदान रांची। झारखंड...

मुंबई: MNS नेता के बेटे पर नशे में गाड़ी चलाने और अभद्रता का आरोप, FIR दर्ज [Mumbai: FIR lodged against MNS leader’s son for...

Drunk driving : मुंबई, एजेंसियां। मुंबई में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना...

HEC कर्मचारियों का धैर्य टूटा, वेतन के लिए 9 जुलाई को हड़ताल तय [HEC employees’ patience breaks, strike scheduled for July 9 for salary]

HEC employees: रांची। रांची स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (HEC) के...

Kailash-Mansarovar Yatra: पांच साल बाद फिर शुरू हो गई कैलास-मानसरोवर यात्रा [Kailash-Mansarovar Yatra started again after five years]

Kailash-Mansarovar Yatra: नई दिल्ली, एजेंसियां। पांच साल बाद कैलास-मानसरोवर...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img