Monday, July 7, 2025

रविवार और एकादशी का दुर्लभ योग कल, जानें क्या है अपरा एकादशी की पूजन विधि

रांची। एकादशी तिथि हिन्दू पंचांग के अनुसार महत्वपूर्ण होती है और यह हर 15 दिन में एक बार आती है।

पर इस रविवार पड़नेवाली एकादशी अपरा एकादशी है। अपरा एकादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू उपवास का दिन है, जो विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है।

यह विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है जो इस दिन उपवास और पूजा करते हैं।

इस बार ज्येष्ठ मास की पहली एकादशी रविवार, 2 जून को है। पिछले साल 15 मई को अपार एकादशी पड़ी थी।

करीब एक साल 17 दिन बाद फिर ये संयोग बना है। ये व्रत घर-परिवार की सुख-शांति, समृद्धि की कामना के लिए किया जाता है।

इस बार ये व्रत रविवार को होने से इस दिन विष्णु जी के साथ ही सूर्य देव की पूजा करने का भी शुभ योग बन रहा है।

जानकारों के मुताबिक, एकादशी व्रत से भक्तों की सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। इस तिथि के स्वामी भगवान विष्णु माने गए हैं।

व्रत और विष्णु पूजा करने वाले भक्तों को सफलता के साथ ही घर-परिवार, समाज में मान-सम्मान भी मिलता है।

अब आपको बताते हैं कि अपरा एकादशी पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं
अपरा एकादशी पर सुबह सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ देना चाहिए।

स्नान के बाद उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र बोलते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं। ध्यान रखें सूर्य को चढ़ाए हुए जल पर हमारे पैर नहीं लगना चाहिए।

सूर्य पूजा के बाद घर के मंदिर में सबसे पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश का अभिषेक करें। गणेश जी को जल और पंचामृत चढ़ाएं।

हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें। दूर्वा चढ़ाएं। लड्डू का भोग लगाएं। ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें।

गणेश पूजन के बाद भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा करें। इनकी प्रतिमाओं पर जल, दूध और पंचामृत चढ़ाएं।

वस्त्र और फूल चढ़ाएं। चंदन से तिलक लगाएं। देवी लक्ष्मी को सुहाग का सामान जैसे लाल चूड़ी, चुनरी, कुमकुम आदि चढ़ाएं।

मिठाई का भोग तुलसी के पत्तों के साथ लगाएं। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते हुए धूप-दीप जलाएं और आरती करें।

किसी शिव मंदिर में शिवलिंग पर ठंडा जल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। शिवलिंग पर चंदन का लेप करें।

बिल्व पत्रों, धतूरा चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।

स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में सालभर की सभी एकादशियों का महत्व बताया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी व्रत और इससे मिलने वाले लाभों की जानकारी दी थी।

एक साल में कुल 24 एकादशियां आती हैं और जिस साल में अधिक मास रहता है, तब उस साल में 26 एकादशियां रहती हैं।

अपरा एकादशी श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बाल गोपाल का भी दूध से अभिषेक करें। नए वस्त्र, हार-फूल चढ़ाएं।

चंदन से तिलक लगाएं और कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। तुलसी के साथ माखन-मिश्री का भोग लगाएं। दीपक जलाकर आरती करें।

इस एकादशी पर किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। गायों को हरी घास खिलाएं।

शास्त्रों के अनुसार इस प्रकार अपरा एकादशी में पूजा अर्चना करने से अवश्य ही फल प्राप्त होता है।

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