नयी दिल्ली: नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि विभिन्न चुनौतियों और प्रौद्योगिकी से इनकार के बावजूद, भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने दुनिया को दिखा दिया है कि भारत के पास “अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी” बनने के लिए “इच्छाशक्ति, बुद्धिमत्ता और साधन” मौजूद हैं।
एडमिरल कुमार यहां तीन दिवसीय भारतीय रक्षा अंतरिक्ष संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि यह महसूस करना कोई ‘‘रॉकेट साइंस’’ नहीं है कि अमृत काल में भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
इस संगोष्ठी का आयोजन 18 अप्रैल से 20 अप्रैल तक यहां मानेकशॉ सेंटर में हो रहा है जिसमें क्षेत्र के विशेषज्ञ और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारी भाग ले रहे हैं।
नौसेना प्रमुख ने कहा कि अंतरिक्ष संपत्ति की “संकल्पना, निर्माण, शुरुआत और रखरखाव” की क्षमता के साथ,‘‘हमारे देश ने दुनिया को दिखाया है कि भारत के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि “संपूर्ण अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र” बनाने वाले कुछ देशों में से एक के रूप में भारत ने अपनी पहचान बनाई है और इसका अंतरिक्ष क्षेत्र तेजी से 21वीं सदी के सबसे “गतिशील और परिभाषित प्रयासों” के रूप में विकसित हो रहा है जिससे निवेश और विकास के अधिक अवसर पैदा होते हैं।
उन्होंने कहा कि आज भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र और वैज्ञानिक “नए भारत” की “आत्मा और भावना” का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे आत्मनिर्भर भारत के रूप में अपनी पहचान पर गर्व है।
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