कौशल विकास की 6 माह में देनी थी ट्रेनिंग
रांची। झारखंड में बेटियों को तेजस्विनी बनाने के लिए करीब 300 करोड़ रुपए खर्च कर दिए।
लेकिन, न उनको प्रशिक्षण मिला और न रोजगार। योजना के संचालन में ही वेतन पर करीब 150 करोड़ रुपए खर्च कर दिए।
झारखंड सरकार ने राज्य की किशोरियों और युवतियों को सशक्त बनाने के लिए 2016 में तेजस्विनी योजना लागू की थी।
झारखंड महिला विकास सोसायटी को शिक्षा, प्रशिक्षण, रोजगार और अर्थव्यवस्था में उन्हें अनुभवी बनाना था।
राज्य के 17 जिलों में 16-24 वर्ष की आयु वर्ग की एक लाख किशोरियों और युवतियों को कौशल प्रशिक्षण मिलना था और करीब 12 लाख को जागरूक करना था।
372.32 करोड़ रुपये हुए थे आवंटित
योजना के लिए 372.32 करोड़ रुपए आवंटित हुए थे। विश्व बैंक ने 260.62 करोड़ रुपए दिए थे। 6 साल में 2229 को ही मिला।
करोड़ों खर्च के बाद योजना 2022 में बंद कर दी गई। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि बेटियां तेजस्विनी कैसे बनेंगी?
12839 तेजस्विनी क्लब खोले गए थे
राज्य में 12839 तेजस्विनी क्लब खोले गए थे। तीन फेज में इंडक्शन, लाइफ स्किल व स्किल ट्रेनिंग देनी थी।
7 दिनों में इंडक्शन ट्रेनिंग, 20 दिनों का लाइफ स्किल प्रशिक्षण और अंत में 3-4 महीने की स्किल ट्रेनिंग देनी थी।
योजना से करीब 12 लाख लड़कियों को जोड़ा गया। करीब 10 लाख को 7 दिनों की इंडक्शन और 20 दिनों की लाइफ स्किल ट्रेनिंग मिली। लेकिन, जून 2022 तक 2,229 को ही स्किल ट्रेनिंग दी गई। टारगेट पूरा ना होते देख एक साल का विस्तार मिला, लेकिन योजना आगे नहीं बढ़ सकी।
केंद्र या विश्व बैंक से सहयोग मिले तो शुरू करेंगे योजना : मंत्री
इस मामले में मंत्री बेबी देवी ने कहा कि विश्व बैंक ने राशि देने से मना कर दिया था। राशि के अभाव में योजना बंद कर दी गई।
हमने विभाग से रिपोर्ट मांगी है। समीक्षा की जाएगी। केंद्र सरकार या विश्व बैंक से सहयोग मिले तो हम फिर से योजना शुरू करेंगे।
कहां खर्च की गई राशि
• 150 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान 8 संस्थाओं को क्लब संचालित करने के लिए।
• 12000 कर्मचारियों को 7 साल तक वेतन/मानदेय।
• 10 हजार रुपए स्टाइपेंड वोकेशनल ट्रेनिंग करने वाली लड़कियों को।
• 20 हजार रुपए तेजस्विनी क्लब को दो साल तक
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