Saffron color:
नई दिल्ली, एजेंसियां। कांवड़ यात्रा 2025 इस वर्ष 11 जुलाई से शुरू होने जा रही है, जो हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन माना जाता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु, जिन्हें कांवड़िया कहा जाता है, गंगा जैसी पवित्र नदियों से जल लेकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए पैदल यात्रा करते हैं।
कांवड़ यात्रा में सबसे खास बात यह है कि कांवड़िए भगवा रंग के वस्त्र पहनते हैं, जिसका गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। सनातन धर्म में भगवा रंग को त्याग, तपस्या, सेवा और भक्ति का प्रतीक माना जाता है, यह रंग साधुओं और संन्यासियों का भी प्रतीक है जो सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर भगवान शिव की भक्ति में लीन रहते हैं।
Saffron color:भगवा वस्त्र पहनना किस बात का संकेत है
कांवड़ यात्रा के दौरान भगवा वस्त्र पहनना इस बात का संकेत है कि श्रद्धालु अपने सांसारिक जीवन की उलझनों को छोड़कर शिव की भक्ति में लीन हो जाते हैं। यह रंग न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा, आत्मबल और संयम को बढ़ाता है, बल्कि अनुशासन, एकजुटता और धार्मिक चेतना का भी प्रतीक है। कांवड़ यात्रा में भगवा वस्त्र पहनने वाले कांवड़ियों के लिए कुछ नियम भी निर्धारित होते हैं, जैसे मांसाहार और मदिरापान का त्याग, ब्रह्मचर्य का पालन और सात्विक आहार ग्रहण करना, जिससे उनका शरीर और मन पवित्र रहता है और वे पूरी श्रद्धा के साथ यात्रा कर पाते हैं।

इस यात्रा का सामाजिक और सांस्कृतिक पक्ष भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विभिन्न समुदायों को जोड़ने का माध्यम बनती है, जिससे धार्मिक सद्भाव और सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलता है। उदाहरण के तौर पर, उत्तर प्रदेश के कुछ मुस्लिम युवकों ने भी कांवड़ यात्रा में भाग लेकर भगवा वस्त्र धारण किए, जो धार्मिक समरसता का अच्छा उदाहरण है। इसके अलावा, प्रशासन भी कांवड़ यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करता है ताकि श्रद्धालु सुरक्षित यात्रा कर सकें।
Saffron color:उत्तर प्रदेश में पुलिस कांवड़ियों के भेष में करते है निगरानी
उत्तर प्रदेश जैसे प्रदेशों में पुलिस द्वारा कांवड़ियों के भेष में रहकर निगरानी रखने जैसी व्यवस्थाएं की जाती हैं ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। कुल मिलाकर, कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति और सामाजिक समरसता का प्रतीक है।
भगवा रंग के वस्त्र में लिपटे कांवड़िए न केवल भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं बल्कि अनुशासन, त्याग और सेवा की भावना को भी दर्शाते हैं, जो इस यात्रा को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। यह यात्रा न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है, जो समस्त श्रद्धालुओं के हृदय में विश्वास, श्रद्धा और एकजुटता की भावना जगाती है।
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