झारखंड, अपनी प्राकृतिक सुंदरता, आदिवासी संस्कृति और समृद्ध परंपराओं के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। इस राज्य की पहचान केवल खनिज संसाधनों या हरियाली तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक विरासत, खासतौर पर आदिवासी कला और हस्तशिल्प, झारखंड की विशेषता है। यहाँ की आदिवासी जनजातियां अपनी कला और शिल्पकला के माध्यम से अपनी जीवनशैली, परंपराएं, और प्रकृति के प्रति प्रेम को दर्शाती हैं।
झारखंड की कला और हस्तशिल्प न केवल उनके रचनात्मक कौशल को उजागर करती है, बल्कि यह आजीविका का एक प्रमुख साधन भी है। पारंपरिक पेंटिंग्स, बांस और लकड़ी का काम, लाह की चूड़ियाँ, धोखा कला, और टसर सिल्क जैसे शिल्प यहां की विशेष धरोहर हैं। यह कला सिर्फ वस्तुओं के निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह झारखंड के आदिवासी समुदायों की आत्मा और उनके इतिहास का प्रतिबिंब भी है।
प्रमुख आदिवासी कलाएं और शिल्प
- पेंटिंग्स (चित्रकला)
o सोहराई पेंटिंग:
यह दीवारों पर बनाई जाने वाली परंपरागत कला है।
आमतौर पर दीपावली और फसल उत्सव के दौरान बनाई जाती है।
पशु, पक्षी, प्रकृति, और ज्यामितीय आकृतियाँ इसके मुख्य विषय हैं।
o कोहबर कला:
यह विवाह और शुभ अवसरों पर घरों की दीवारों पर बनाई जाती है।
इसमें प्रजनन, प्रेम, और समृद्धि के प्रतीक चित्र शामिल होते हैं। - बाँस और बेंत शिल्प
o झारखंड के आदिवासी समुदाय बाँस और बेंत से खूबसूरत वस्तुएं बनाते हैं।
o टोकरी, मैट, फर्नीचर, और सजावटी सामान मुख्य उत्पाद हैं। - धातु शिल्प (धोखा कला)
o धोखा कला, आदिवासियों द्वारा धातु की मूर्तियाँ और सजावटी वस्तुएं बनाने की एक परंपरा है।
o यह मुख्य रूप से बेल मेटल (कांसा) से बनाई जाती है।
o पौराणिक कथाओं और लोककथाओं पर आधारित मूर्तियाँ विशेष आकर्षण हैं। - लाह (लाख की चूड़ियाँ)
o लाह की चूड़ियाँ झारखंड की प्रमुख हस्तशिल्प वस्तुओं में से एक हैं।
o यह चूड़ियाँ विभिन्न रंगों और डिज़ाइनों में बनाई जाती हैं और महिलाओं के लिए खास महत्व रखती हैं। - काष्ठ शिल्प (लकड़ी का काम)
o आदिवासी कलाकार लकड़ी पर उकेरकर मूर्तियाँ, खिलौने, और घरेलू सजावटी वस्तुएं बनाते हैं।
o यह शिल्प प्रकृति के प्रति आदिवासियों के लगाव को दर्शाता है। - टसर सिल्क
o झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में टसर सिल्क का उत्पादन किया जाता है।
o इससे बने कपड़े अपने डिज़ाइन और बनावट के लिए प्रसिद्ध हैं। - आदिवासी आभूषण
o चांदी, मोती, और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से बने आभूषण झारखंड की आदिवासी महिलाओं की सुंदरता में चार चाँद लगाते हैं।
o पारंपरिक डिज़ाइन और हस्तनिर्मित कारीगरी इसकी खासियत है।
झारखंड के प्रमुख हस्तशिल्प केंद्र
• साहेबगंज और गोड्डा: बाँस और बेंत शिल्प।
• सिमडेगा और खूंटी: सोहराई और कोहबर कला।
• रांची और सरायकेला: धातु शिल्प और धोखा कला।
• देवघर और दुमका: लाह शिल्प।
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