रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा भले ही राज्य में शासन कर रहा हो, पर पार्टी के सांगठनिक ढांचे में सुधार की जरूरत महसूस हो रही है। पार्टी में 3 अहम पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं। पार्टी में एक केंद्रीय महासचिव, एक केंद्रीय उपाध्यक्ष और महिला मोर्चा की अध्यक्ष का पद लंबे समय से रिक्त पड़ा है। वैसे पार्टी में सुप्रियो भट्टाचार्य और विनोद पांडेय भी महासचिव के पद पर हैं, लेकिन वे दोनों केंद्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं।
बताते चलें कि केंद्रीय महासचिव का पद किसी भी दल में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और तमाम नीतिगत निर्णयों में उसकी भागीदारी भी होती है। ऐसे में पार्टी के अंदर एक पूर्णकालिक महासचिव की जरूरत महसूस की जा रही है। वहीं, केंद्रीय उपाध्यक्ष के पद की महत्ता को भी नकारा नहीं जा सकता। खास तौर पर तब, जब केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन उमर जनित बीमारियों से घिरे हों।
वहीं, केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन चूंकि राज्य के मुख्यमंत्री भी हैं, इसलिए उनपर राज्य के शासन की जिम्मेदारी भी है। ऐसे में केंद्रीय उपाध्यक्ष की जरूरत पार्टी को लंबे समय से महसूस हो रही है। बताते चलें कि यह पद पूर्व उपाध्यक्ष चंपाई सोरेन के पार्टी छोड़ने के बाद से ही खाली पड़ा है।
अगर झामुमो की महिला मोर्चा की बात करें, तो लंबे समय से इस पद के लिए कोई उपयुक्त नेत्री पार्टी को नहीं मिली है। हालांकि अब ऐसा नहीं है। सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी और गांडेय विधायक कल्पना सोरेन इस पद के लिए सबसे उपयुक्त मानी जा रही हैं, क्योंकि पिछले साल मंईयां सम्मान योजना को लेकर उन्होंने पूरा राज्य का भ्रमण किया था और महिलाओं के दिल में जगह भी बनाई थी।
परंतु पार्टी के अंदर चल रही चर्चाओं के मुताबिक कल्पना सोरेन महज एक साल में ही इतनी परिपक्व राजनीतिज्ञ हो गई हैं कि वह कोई भी पद संभालने में सक्षम हैं। ऐसे में यदि उन्हें केंद्रीय महासचिव या केंद्रीय उपाध्यक्ष या फिर कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी मिलती है, इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं होगी।
इसी माह 13 अप्रैल से पार्टी की तीन दिनी महाधिवेशन होना है। संभावना जताई जा रही है कि इसमें कल्पना सोरेन के भविष्य को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है। साथ ही पार्टी के रिक्त पड़े महत्वपूर्ण पदों पर भी योग्य लोगों को बिठाने की कोशिश होगी, क्योंकि इस अधिवेशन में पार्टी के विस्तार को लेकर चर्चा होनी है। दूसरे राज्यों में झामुमो को स्थापित करने की योजना भी बनेगी। साथ ही, बिहार चुनाव में झामुमो की भागीदारी पर भी विचार किया जायेगा। ऐसे में पार्टी के सभी रिक्त पदों भरा जाना सुनिश्चत किया जा सकता है।
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