Navratri:
नई दिल्ली, एजेंसियां। नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों (नवदुर्गा) की विशेष पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन एक देवी को समर्पित होता है और उनकी पूजा से जीवन में शक्ति, ज्ञान, धैर्य, संतुलन, सकारात्मकता, मातृत्व, साहस, क्षमा और पूर्णता जैसे गुण प्राप्त होते हैं।
नवदुर्गा के नौ रूप और उनका महत्व
- शैलपुत्री: पर्वतराज हिमालय की पुत्री, रिश्तों की मजबूत नींव का प्रतीक।
- ब्रह्मचारिणी: तपस्या और ज्ञान का प्रतीक, धैर्य और समर्पण सिखाती हैं।
- चंद्रघंटा: शांति और सौंदर्य का प्रतीक, रिश्तों में संतुलन बनाए रखने का संदेश देती हैं।
- कूष्मांडा: सृष्टि के संचालन का प्रतीक, सकारात्मक सोच रखने की प्रेरणा देती हैं।
- स्कंदमाता: मातृत्व का प्रतीक, बिना शर्त प्रेम करना सिखाती हैं।
- कात्यायनी: शक्ति और सुंदरता की मिसाल, दूसरों के लिए खड़े होने का महत्व बताती हैं।
- कालरात्रि: बुराईयों का नाश करने वाली, कठिन समय में भी साथ न छोड़ने की सीख देती हैं।
- महागौरी: शांति और क्षमा का प्रतीक, शुद्धता और सच्चा दिल रखने का संदेश देती हैं।
- सिद्धिदात्री: सफलता और पूर्णता की प्रतीक, रिश्तों में एक-दूसरे को महत्व देने की प्रेरणा देती हैं।
महत्व
नवरात्र का पर्व मां दुर्गा के इन नौ स्वरूपों के प्रति समर्पित है। इन देवी स्वरूपों की पूजा से भक्तों को मनचाहा फल मिलता है और जीवन के दुख-संताप दूर होते हैं। प्रत्येक देवी के स्वरूप से जीवन में सीख मिलती है, जिससे रिश्ते मधुर और मजबूत बनते हैं।
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