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वाशिंगटन, एजेंसियां। अमेरिकी शिक्षा विभाग ने सोमवार (14 अप्रैल) को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को मिलने वाली लगभग 2.3 बिलियन डॉलर की फंडिंग रोक दी है। इसका कारण यह है कि हार्वर्ड ने व्हाइट हाउस की कुछ महत्वपूर्ण मांगों को मानने से इनकार कर दिया था। इनमें कैंपस में विरोध-प्रदर्शनों को सीमित करने और विविधता, समानता, और समावेश (DEI) से जुड़े कार्यक्रमों को खत्म करने की बातें शामिल थीं।
यह निर्णय एक सरकारी टास्क फोर्स की सिफारिश पर लिया गया था, जिसका उद्देश्य यहूदी विरोधी भावना से निपटना था। टास्क फोर्स ने कहा कि हार्वर्ड का रवैया एक चिंताजनक तानाशाही सोच को दर्शाता है, जो देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में फैल चुकी है। इसमें 2.2 बिलियन डॉलर का अनुदान और 60 मिलियन डॉलर का सरकारी अनुबंध शामिल हैं।
Donald Trump: अध्यक्ष एलन गार्बर ने इस फैसले के बाद जारी किया पत्र
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष एलन गार्बर ने इस फैसले के बाद एक पत्र जारी किया था, जिसमें उन्होंने ट्रंप प्रशासन की मांगों को खारिज कर दिया था। गार्बर ने कहा कि विश्वविद्यालय की स्वतंत्रता का हनन नहीं किया जा सकता, और सरकार का यह हस्तक्षेप संविधान के पहले संशोधन का उल्लंघन है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
इस पत्र में गार्बर ने यह भी कहा कि कोई भी सरकार, चाहे वह किसी भी पार्टी की हो, यह तय नहीं कर सकती कि विश्वविद्यालय क्या पढ़ाए, किसे एडमिशन दे, और किस विषय पर रिसर्च करे। उनका मानना था कि इस तरह का हस्तक्षेप विश्वविद्यालय के उद्देश्य और स्वतंत्रता के खिलाफ है।
Donald Trump: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को एक लिखा पत्र
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसी बीच हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालय की नीतियों में बदलाव करने और उसकी एडमिशन पॉलिसी की समीक्षा करने का आग्रह किया था। ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि यदि हार्वर्ड ने इन मांगों को नहीं माना, तो उसे लगभग 9 बिलियन डॉलर की फंडिंग और सरकारी अनुबंधों का खतरा हो सकता है।
यह फैसला अकेला हार्वर्ड यूनिवर्सिटी तक सीमित नहीं है। शिक्षा विभाग ने इसी तरह के कारणों से पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी, ब्राउन और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी को मिलने वाली फंडिंग भी रोक दी है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी को भी अरबों डॉलर की ग्रांट रोकने की धमकी दी गई थी, जिसके बाद उसे अपनी नीतियों में बदलाव करने पड़े थे।
हार्वर्ड के अध्यक्ष गार्बर ने यह भी माना कि विश्वविद्यालय ने यहूदी विरोधी घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि ऐसे बदलाव वह केवल अपनी नीतियों के अनुसार करेंगे, न कि सरकारी दबाव के तहत।
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