Iran-Israel war:
वाशिंगटन, एजेंसियां। ईरान और इज़राइल के बीच जारी तनावपूर्ण युद्ध में अमेरिका की दिलचस्पी जगजाहिर है, लेकिन आंतरिक आर्थिक हालात उसके लिए गंभीर चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। ताज़ा रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका पर राष्ट्रीय कर्ज का बोझ 37 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच चुका है, जिसने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।अमेरिकी कांग्रेस के बजट कार्यालय का अनुमान है कि यदि हालात नहीं सुधरे, तो 2055 तक अमेरिका का कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 156 प्रतिशत तक जा सकता है। मौजूदा समय में अमेरिका को हर साल लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर का घाटा हो रहा है, जो कि उसकी आर्थिक सेहत को लगातार बिगाड़ रहा है।
Iran-Israel war:कर्ज के कारण संकट के संकेत:
अमेरिका की टैक्स से होने वाली कमाई का एक चौथाई हिस्सा सिर्फ ब्याज चुकाने में चला जाता है। बढ़ता कर्ज सामाजिक सुरक्षा, मेडिकेयर और राष्ट्रीय रक्षा जैसे जरूरी क्षेत्रों में खर्च सीमित कर सकता है। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, इससे निजी निवेश में कमी और महंगाई में वृद्धि हो सकती है।
Iran-Israel war:डॉलर भी गिर सकता है?
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर कर्ज की गति इसी तरह बनी रही, तो डॉलर की साख को भी नुकसान पहुंच सकता है। हालांकि फिलहाल अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन GDP ग्रोथ का अनुमान 1.4% से 1.6% के बीच ही है।
Iran-Israel war:भारत से उधार भी चर्चा में
रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका ने भारत समेत कई देशों से कर्ज ले रखा है। भारत अमेरिकी बॉन्ड में निवेश के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से उसके ऋणदाता देशों में शामिल है। ऐसे में अमेरिका की आर्थिक सेहत सिर्फ घरेलू ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी असर डाल सकती है। यह स्थिति आने वाले समय में अमेरिका की रणनीतिक और आर्थिक नीतियों पर गहरा प्रभाव डाल सकती है, खासकर जब वह वैश्विक मामलों में सशक्त भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है।
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