नई दिल्ली, एजेंसियां। संसद के पहले सत्र में उपसभापति पद और नीट मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक के बीच कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने कहा कि समझ नहीं आता, परीक्षा पे चर्चा करनेवाले प्रधानमंत्री नीट पेपर लीक मामले पर चुप क्यों हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “टकराव को महत्व देते हैं”, चाहे वो भले ही “आम सहमति के मूल्य” का उपदेश देते हों।
सोनिया गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अभी भी लोकसभा चुनाव के नतीजों से उबर नहीं पाए हैं, जिसमें एनडीए कमजोर जनादेश के साथ सत्ता में वापस आया है।
अपने लेख से गांधी ने नीट परीक्षा, मणिपुर, चुनाव परिणाम और इमरजेंसी को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
आम सहमति बनाम टकराव
सोनिया गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री ऐसे काम कर रहे हैं जैसे कुछ बदला ही न हो। वे आम सहमति के महत्व का उपदेश देते हैं, लेकिन टकराव को महत्व देना जारी रखते हैं।
उन्होंने कहा कि “4 जून, 2024 को हमारे देश के मतदाताओं का फैसला स्पष्ट और जोरदार तरीके से सामने आया।
यह एक ऐसे प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार का संकेत था, जिन्होंने चुनाव अभियान के दौरान खुद को दिव्य होने दर्जा दे दिया था।
इस फैसले ने न केवल ऐसे दावों को नकार दिया, बल्कि इस फैसले ने विभाजनकारी, कलह और नफरत की राजनीति को भी स्पष्ट रूप से नकार दिया, इसने नरेन्द्र मोदी की शासन शैली को नकार दिया।
सोनिया गांधी ने कहा कि मैं याद दिलाना चाहूंगी कि जब प्रधानमंत्री के लोगों ने अध्यक्ष पद के लिए सर्वसम्मति मांगी थी, तो इंडिया ब्लॉक दलों ने कहा कि हम सरकार का समर्थन करेंगे – लेकिन परंपरा को ध्यान में रखते हुए, यह उचित और अपेक्षित ही था कि उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के किसी सदस्य को दिया जाएगा।
यह उचित अनुरोध उस शासन द्वारा अस्वीकार्य पाया गया, जिसने, 17वीं लोकसभा में उपाध्यक्ष के पद को रिक्त ही रखा था।
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