Suran vegetable on Diwali:
नई दिल्ली, एजेंसियां। दीवाली केवल रोशनी, मिठाइयों और घर की सजावट का त्योहार नहीं है, बल्कि यह परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के बाद घरों में विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जिनमें सूरन की सब्जी (ओल या जिमीकंद) को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह जड़ वाली सब्जी केवल स्वाद में ही नहीं बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य से जुड़े कारणों से भी इस दिन बनाई जाती है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
दिवाली पर सूरन खाने की परंपरा के पीछे एक रोचक कथा जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि यदि दिवाली के दिन सूरन न खाया जाए तो व्यक्ति अगले जन्म में नेवला या छुछुंदर के रूप में जन्म ले सकता है। हालांकि यह केवल लोक मान्यता है, लेकिन इसके पीछे गहरी धार्मिक सोच है। सूरन जमीन के अंदर खुद उगने वाली सब्जी है और इसकी जड़ को काटने पर यह बार-बार उगती है। यही कारण है कि इसे जीवन में स्थिरता, संपन्नता और सुख-शांति का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा, दिवाली पर इसे खाने से मां लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होने की मान्यता भी है।
सूरन के स्वास्थ्य लाभ:
सूरन में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मददगार होते हैं। इसके अलावा यह त्वचा और पाचन के लिए लाभकारी है। वजन नियंत्रित करने या घटाने के लिए भी सूरन सहायक माना जाता है।
सूरन बनाने की विधि:
सूरन की जड़ कड़ी होती है, इसलिए इसे उबालकर पकाना जरूरी है। उबालने के बाद सूरन को छोटे टुकड़ों में काटकर तेल में भूनें। फिर प्याज-टमाटर की स्वादिष्ट ग्रेवी तैयार करें और उसमें सूरन डालकर थोड़ी देर पकाएं। अंत में नींबू का रस डालें, जिससे स्वाद बढ़े और गले में खुजली कम हो। इस तरह से बनी सूरन की सब्जी पराठे या पूरी के साथ परोसी जाती है।
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