Cancer recovery:
नई दिल्ली, एजेंसियां। कैंसर से उबरने के बाद भी कई मरीजों को मांसपेशियों की कमजोरी जैसी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है। यह कमजोरी इतनी ज्यादा हो सकती है कि मरीज रोजमर्रा के काम जैसे सीढ़ियां चढ़ना या सामान उठाना भी मुश्किल समझने लगते हैं। हाल ही में प्रकाशित एक नई रिसर्च में इसका कारण पता चला है।
ट्यूमर से दूर भी मांसपेशियों को नुकसान
वैज्ञानिकों ने पाया है कि कैंसर ट्यूमर के मांसपेशियों से दूर होने के बावजूद, ट्यूमर से निकलने वाला एक खास प्रोटीन मांसपेशियों तक पोषण पहुंचाने वाली ब्लड सेल्स को नुकसान पहुंचाता है। जब ब्लड सेल्स स्वस्थ नहीं होतीं, तो मांसपेशियों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व सही ढंग से नहीं पहुंच पाते और ताकत धीरे-धीरे कम होने लगती है।
एक्टिविन-ए प्रोटीन है जिम्मेदार
रिसर्च में यह भी खुलासा हुआ कि ट्यूमर एक्टिविन-ए नामक प्रोटीन रिलीज करता है, जो मांसपेशियों की रक्त वाहिकाओं को लीक कर देता है। इससे रक्त प्रवाह कम हो जाता है और मांसपेशियों में पोषण की कमी से कमजोरी शुरू हो जाती है। शोधकर्ताओं ने जब इस प्रोटीन के प्रभाव को कम किया, तो ब्लड सेल्स की सेहत सुधरी और मांसपेशियों की ताकत वापस आने लगी।
इलाज के बाद भी कमजोरी क्यों रहती है?
यह समस्या ‘कैंसर कैशेक्सिया’ के नाम से जानी जाती है, जो एडवांस कैंसर के लगभग 80% मरीजों में देखी जाती है। इलाज के बाद भी मांसपेशियों की ताकत वापस नहीं आ पाती क्योंकि रक्त वाहिकाएं पहले से ही खराब हो चुकी होती हैं।
इलाज की नई दिशा
हालांकि अभी तक इस समस्या के लिए कोई खास दवा मंजूर नहीं हुई है, लेकिन नई थैरेपीज़ और एक्सरसाइज प्रोग्राम पर काम चल रहा है। कुछ दवाएं भूख बढ़ाने में मदद कर रही हैं, तो कुछ पोषण और मांसपेशी पुनर्निर्माण को टारगेट कर रही हैं। शोधकर्ता ऐसे इलाज की कोशिश कर रहे हैं जो हार्ट मरीजों के लिए दी जाने वाली ब्लड सेल्स की सेहत सुधारने वाली दवाओं के समान काम करें।
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