Wholesale inflation:
नई दिल्ली, एजेंसियां। अगस्त में थोक महंगाई बढ़कर 0.52% पर पहुंच गई है। खाने-पीने की चीजें महंगी होने से महंगाई बढ़ी है। इससे पहले जुलाई में ये घटकर माइनस 0.58% पर आ गई थी। ये इसका 2 साल का निचला स्तर था। इससे पहले जून 2023 में ये माइनस 4.12% पर आ गई थी। वहीं मई 2025 में ये 0.39% और अप्रैल 2025 में 0.85% पर थी।
रोजाना जरूरत के सामान, खाने-पीने की चीजें महंगी हुईः
रोजाना की जरूरत वाले सामानों (प्राइमरी आर्टिकल्स) की महंगाई माइनस 4.95% से बढ़कर माइनस 2.10% हो गई। खाने-पीने की चीजों (फूड इंडेक्स) की महंगाई माइनस 2.15% से बढ़कर 0.21% हो गई।
फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर माइनस 2.43% से घटकर माइनस 3.17% रही।
मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर 2.05% से बढ़कर 2.55% रही।
होलसेल महंगाई के तीन हिस्सेः
प्राइमरी आर्टिकल, जिसका वेटेज 22.62% है। फ्यूल एंड पावर का वेटेज 13.15% और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट का वेटेज सबसे ज्यादा 64.23% है। प्राइमरी आर्टिकल के भी चार हिस्से हैं।
फूड आर्टिकल्स जैसे अनाज, गेहूं, सब्जियां
नॉन फूड आर्टिकल में ऑयल सीड आते हैं
मिनरल्स
क्रूड पेट्रोलियम
अगस्त में रिटेल महंगाई बढ़कर 2.07% हुई
अगस्त में रिटेल महंगाई दर जुलाई के 1.61% से थोड़ा बढ़कर 2.07% पर पहुंच गई है। इसकी वजह खाने-पीने की कुछ वस्तुओं की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी है। रिटेल महंगाई के आंकड़े 12 सितंबर को जारी हुए थे।
होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का आम आदमी पर असरः
थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।
जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।
महंगाई कैसे मापी जाती है?
भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है।
महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम्स को शामिल किया जाता है। जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 22.62% और फ्यूल एंड पावर 13.15% होती है। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07% और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है।
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