खाने-पीने के सामान महंगे हुए
नई दिल्ली, एजेंसियां। थोक महंगाई दर बढ़कर 16 महीनों के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई है।
आज 15 जुलाई को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, जून में थोक महंगाई बढ़कर 3.36% पर पहुंच गई है। फरवरी 2023 में थोक महंगाई दर 3.85% रही थी।
वहीं, मई में थोक महंगाई बढ़कर 15 महीनों के ऊपरी स्तर 2.61% पर थी। इससे पहले अप्रैल 2024 में महंगाई 1.26% रही थी, जो 13 महीने का उच्चतम स्तर था। उधर, शुक्रवार को रिटेल महंगाई में भी तेजी देखने को मिली थी।
• जून में खाद्य महंगाई दर 1.28% बढ़ी।
• खाद्य महंगाई दर मई के मुकाबले 7.40% से बढ़कर 8.68% हो गई।
• रोजाना की जरूरत वाले सामानों की महंगाई दर 7.20% से बढ़कर 8.80% हो गई।
• फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर 1.35% से घटकर 1.03% रही।
• मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर 0.78% से बढ़कर 1.43% रही।
WPI का आम आदमी पर असर
थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है।
अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है, तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।
जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है।
WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।
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