धर्मेंद्र प्रधान समेत 5 नाम रेस में सबसे आगे
भुवनेश्वर, एजेंसियां। ओडिशा में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने जा रही है। राज्य में पहली बार मुख्यमंत्री भाजपा से होंगें।
प्रदेश में हुए 17वें विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल किया है। पिछले 24 साल से सत्ता के शीर्श पर बेठे नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी चुनाव हार चुकी है।
अब तक बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं की गयी है। हालांकि, खबरों के बाजार में कुछ नामों की चर्चा तेज है। इनमें धर्मेंद्र प्रधान सबसे आगे हैं।
धर्मेंद्र प्रधानः
मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में सबसे पहला नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री और संबलपुर लोकसभा से नवनिर्वाचित सांसद धर्मेंद्र प्रधान का है।
धर्मेंद्र प्रधान पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं। 2014 में जब मोदी सरकार बनी तो उन्हें केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री बनाया गया।
नरेंद्र मोदी की अगली सरकार में शिक्षा मंत्री का कार्यभार संभाला। धर्मेंद्र प्रधान ने अपना राजनीतिक सफर साल 2000 में विधायक के तौर पर शुरू किया था।
2004 में वह ओडिशा के देवगढ़ से सांसद बने। 2009 में वे दुबारा से प्रदेश की राजनीति में लौटे और पल्लाहारा से विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन वो चुनाव हार गए।
उसके बाद बिहार और मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद बने।
मनमोहन सामलः
मनमोहन सामल ओडिशा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। सामल ने छात्र जीवन से ही राजनीति की शुरुआत की थी।
1979 में पढ़ाई के दौरान वह कॉलेज के अध्यक्ष चुने गए थे, बाद में वह एबीवीपी में शामिल हो गए।
सामल ने 2004 में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर धामनगर से विधानसभा का चुनाव जीता था।
भाजपा-बीजद गठबंधन के दौरान उन्होंने नवीन पटनायक मंत्रिमंडल में राजस्व और खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण मंत्री के रूप में कार्य किया।
इसके अलावा, मनमोहन सामल राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं। वे भद्रक जिले से ताल्लुक रखते हैं और प्रदेश की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय हैं। सीएम की रेस में इनका नाम भी आगे चल रहा है।
गिरीश चंद्र मुर्मूः
ओडिशा में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पूर्व सीएजी और जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल गिरीश मुर्मु के नाम की भी चर्चा है।
गिरिश मुर्मु 1985 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। इन्हें नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है।
जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब गिरीश चंद्र मुर्मु ने प्रधान सचिव के रूप में कार्य किया है। जब अमित शाह गृह मंत्री थे तब वह गृह विभाग के संयुक्त सचिव भी थे।
मुर्मु आदिवासी समाज से आते हैं। भाजपा इन्हें ओडिशा का मुख्यमंत्री बनाकर आदिवासी वोटरों को साध सकती है।
लक्ष्मण बागः
लक्ष्मण बाग इस वक्त ओडिशा में सबसे चर्चित नेता हैं। इन्होंने ओडिशा के पांच बार के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को 16 हजार से अधिक वोटों से हराया है।
लक्ष्मण बाग बोलांगीर जिले की कांटाबांजी विधानसभा सीट से चुनाव जीते हैं। लक्ष्मण बाग ओडिशा के एक गरीब किसान परिवार से संबंध रखते हैं।
इनका आधा जीवन मजदूरी और ट्रक पर खलासी के तौर पर काम करते हुए बीता है। बाद में उन्होंने अपना ट्रांसपोर्ट का बिजनेस शुरू किया।
फिर उन्होंने राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने का सोचा। साल 2014 में लक्ष्मण बाग पहली बार विधायकी का चुनाव लड़े थे।
हालांकि, उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। 2024 के चुनावों में उन्होंने मजदूरों के पलायन को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया और नवीन पटनायक जैसे दिग्गज को मात दे दी। अब वह सीएम पद की रेस में हैं।
बैजयंत पांडाः
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा का नाम भी मुख्यमंत्री की रेस में आ रहा है।
इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट के बैकग्राउंड के साथ मिशिगन टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएटेड पांडा का सियासत में प्रवेश करने से पहले एक सफल कॉर्पोरेट करियर रहा है।
हालांकि बीजेपी से उनका जुड़ाव अधिक पुराना नहीं है। बैजयंत पांडा बीजेडी से एक बार राज्यसभा सांसद और दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और छह साल पहले बीजेपी में शामिल हुए हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेडी के अंशुमान मोहंती को 66,536 मतों से हराया है। बैजयंत पांडा को आरएसएस के शीर्ष नेताओं का समर्थन प्राप्त है और इनका नाम भी मुख्यमंत्री की रेस में आगे चल रहा है।
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