White House advisor:
वाशिंगटन, एजेंसियां। अमेरिका और भारत के रिश्तों में तनाव एक बार फिर बढ़ गया है, इस बार व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो के एक बयान के बाद। नवारो ने भारत पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि भारत की रूस से तेल खरीदारी, यूक्रेन युद्ध में रूस की आक्रामकता को बढ़ावा दे रही है। उनका कहना था कि इस डिस्काउंटेड तेल से रूस को मिलने वाली वित्तीय मदद युद्ध मशीनों को चलाने और यूक्रेनियों को मारने में मदद कर रही है।
पीटर नवारो का बयान
नवारो ने एक इंटरव्यू में कहा कि यदि भारत रूस से तेल खरीदने से अपना रुख बदलता है, तो उसे अमेरिका के द्वारा लगाए गए टैरिफ में 25 प्रतिशत की कमी मिल सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि “शांति का मार्ग कुछ हद तक नई दिल्ली से होकर गुजरता है।” उनका आरोप था कि भारत इस मुद्दे पर अहंकारी है और इस तरह के बयान दे रहा है कि, “हमारी संप्रभुता है, हम जिसे चाहें तेल खरीद सकते हैं।”
भारत का जवाब
इस बयान पर भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है और कहा कि देश के 140 करोड़ लोगों के आर्थिक हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। भारत ने रूस से तेल खरीद को अपनी स्वतंत्र नीति और ऊर्जा सुरक्षा का हिस्सा बताया है। भारत ने यह भी कहा कि वह कोई भी निर्णय यूक्रेन के युद्ध के संदर्भ में नहीं ले सकता, जो पूरी तरह से वैश्विक राजनीति और कूटनीति से जुड़ा हुआ है।
पिछले बयान
यह पहली बार नहीं है जब नवारो ने भारत के बारे में विवादास्पद बयान दिया है। इससे पहले भी उन्होंने भारत पर रिफाइनरी मुनाफाखोरी का आरोप लगाया था, और इसे रूस के लिए एक “लॉन्ड्रोमैट” (सेल्फ-सर्विस लॉन्ड्री) करार दिया था। नवारो का कहना था कि भारत उस पैसे का उपयोग करता है, जो उसे अमेरिका से सामान बेचने में मिलता है, और फिर उसी पैसे को रूस से तेल खरीदने में लगा देता है, जिससे रूस को अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने में मदद मिलती है।
इस विवाद ने एक बार फिर अमेरिका-भारत के रिश्तों में तनाव को बढ़ा दिया है, खासकर जब दोनों देशों के बीच व्यापार और कूटनीतिक मुद्दों पर चर्चा जारी है।
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