रांची : डायबिटीज यानि मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर के अंदर इंसुलिन बनना कम या बंद हो जाता है।
ये इंसुलिन हमारे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित रखता है। लंबे समय तक जब इंसुलिन न बनने का चक्र बरकरार रहता है तो हम डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं।
मधुमेह के शिकार कई लोग संशय में रहते हैं कि उन्हें शहद खाना चाहिए अथवा नहीं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि डायबिटीज में शहद का इस्तेमाल करना सुरक्षित है।
अपने एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण शहद डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन फिर भी डायबिटीज पीड़ित लोगों को इसका कम इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि इसमें भी ग्लाइसेमिक होता है।
हालांकि, शहद में चीनी के मुकाबले ग्लाइसेमिक की मात्रा कम होती है। इसके अलावा शहद में विटामिन-सी, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम आदि कई विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि शहद खाने से ब्लड शुगर लेवल कम या कंट्रोल हो सकता है। वहीं, शहद के सेवन से इसमें मौजूद एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट मिलते हैं।
यही नहीं यह सूजन से भी बचाव करता है। हालांकि टाइप-2 डाइबिटीज से पीड़ित मरीजों को शहद का सेवन नहीं करना चाहिए क्यों ऐसे पीड़ित मरीजों के लिए शहद का इस्तेमाल हानिकारक हो सकता है।
जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है उन्हें भी कच्चे शहद का सेवन नहीं करना चाहिए, यह किसी भी तरह के इंफेक्शन को बढ़ाता है।
बाजार में मिलावट वाला शहद बिकता है, जिसमें पर्याप्त मात्रा में चीनी हो सकता है, जो ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाएगा।
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