पटना : चुनावी वर्ष में मोदी सरकार ने बिहार के लोगों को एक और सौगात दी है। चुनावी सौगात के तहत भागलपुर के कहलगांव में बिहार का चौथा केंद्रीय विश्वविद्यालय विक्रमशिला सेंट्रल यूनिवर्सिटी स्थापित होगा। वर्ष 2023 के केंद्रीय बजट में केंद्र सरकार ने इस केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना करने की घोषणा की थी।
इसके लिए शिक्षा मंत्रालय की गठित पांच सदस्यीय साइट चयन कमेटी की स्वीकृति के बाद बिहार सरकार की ओर से कहलगांव के मलकपुर और अंतिचक मौजा में चिन्हित की गई 215 एकड़ भूमि का अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द आरंभ की जाएगी।
सरकार की ओर से भूमि अधिग्रहण के लिए राशि की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही सरकार ने भूमि अधिग्रहण की तैयारियों को लेकर भागलपुर जिला प्रशासन को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिया है।
इस नये विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आने से कहलगांव का विकास तो होगा ही, साथ-साथ विश्वविद्यालय के आसपास के गांव में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
केंद्र ने किया है 500 करोड़ का आवंटन
शिक्षा विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी के मुताबिक कहलगांव में भूमि अधिग्रहण के बाद केंद्र सरकार की ओर से विक्रमशिला सेंट्रल यूनिवर्सिटी के भवनों का निर्माण समेत अन्य आधारभूत संरचना का विकास के लिए कार्य शुरू होगा। इस विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए केंद्र ने करीब 500 करोड़ रुपये आवंटित किया है।
गौरतलब है कि केंद्र ने अभी तक समस्तीपुर जिले में राजेन्द्र कृषि केंद्रीय विश्वविद्यालय, पूसा, पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी में महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी, मोतिहारी और गया में साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी की स्थापना की है।
अब कहलगांव में विक्रमशिला सेंट्रल यूनिवर्सिटी की स्थापना के बाद प्राचीन विक्रमशीला विश्वविद्यालय की गौरवशाली इतिहास की स्मृतियां वैसे ही ताजा होंगी, जैसे नालन्दा में यूनिवर्सिटी आफ नालन्दा की स्थापना के बाद प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय की स्मृति ताजा हो गयी है।
शिक्षा मंत्रालय ने कहलगांव में भूमि (साइट) चयन के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनायी थी। मंत्रालय के संयुक्त सचिव, यूजीसी के सचिव, साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचि और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर कमेटी में शामिल थे।
इस कमेटी ने भागलपुर जिला प्रशासन की ओर से कहलगांव में चिन्हित भूमि का स्थल निरीक्षण कर रिपोर्ट दी थी। इसके बाद केंद्र ने भूमि अधिग्रहण करने की जवाबदेही बिहार सरकार को दी है। यहां बता दें कि बिहार के प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय और प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय देश ही नहीं, विश्व भर के प्राचीनतम उत्कृष्ट विश्वविद्यालयों में ख्यात व शुमार था।
विस्थापितों को दूसरी जगह बसाया जायेगा
दोनों ही प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में दुनिया भर में के विद्यार्थी ज्ञान अर्जन के लिए आते थे। कहलगांव में जहां पर विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए जमीन चिन्हित की गई है वहां पर अनुसूचित जनजाति के करीब सवा सौ परिवारों के घर बसे हैं।
उन परिवारों को प्रशासन द्वारा दूसरी जगह बसाने की कार्य योजना भी बनायी है। इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन ने शिक्षा विभाग को भेजकर साझा की है। इस रिपोर्ट में कहलगांव के अनुमंडल अधिकारी के स्तर से यह भी जानकारी दी गई है कि जमीन का नक्शा, कहां-कहां कितनी जमीन है, कितने रैयतों की जमीन अर्जित की जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18 अगस्त, 2015 को आरा में आयोजित सभा में विक्रमशिला यूनिवर्सिटी की स्थापना करने की घोषणा की थी। तब प्रधानमंत्री ने बिहार को सवा लाख करोड़ के पैकेज में भी इस की चर्चा की थी। इसके लिए 500 करोड़ रुपए के केंद्रीय बजट में प्रविधान किया गया है।
इसी आलोक में केंद्र्र ने बिहार सरकार को चिन्हित जमीन को अधिग्रहण करने को कहा है।
विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना से केंद्र सरकार से हर साल ज्यादा से ज्यादा फंड मिलेगा। भागलपुर और उसके आसपास के जिलों में शैक्षणिक क्रांति का आगाज होगा।
स्नातकोत्तर संकायों में अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई आधुनिक पाठ्यक्रम संचालित होंगे जिसका लाभ बिहार के मेधावी विद्यार्थियों को मिलेगा। उनकी फीस करीब-करीब आधी हो जाएगी।
कई व्यावसायिक पाठ्यक्रम लागू होने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
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