Nobel Prize:
न्यूयॉर्क, एजेंसियां। 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस साल के पुरस्कार से चूक गए। मचाडो फिलहाल अपने देश में सुरक्षा कारणों से छिपकर रह रही हैं। उन्हें लोकतंत्र, मानवाधिकार और शांतिपूर्ण बदलाव की दिशा में किए गए संघर्ष के लिए सम्मानित किया गया।
वेनेजुएला की ‘आयरन लेडी’
मचाडो को ‘आयरन लेडी’ के नाम से जाना जाता है। उन्हें टाइम मैगजीन की ‘2025 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों’ में भी शामिल किया गया है। नोबेल समिति ने मचाडो की साहसी और प्रतिबद्ध भूमिका की सराहना की, जिन्होंने अपने देश में लोकतंत्र की लौ जलाए रखी। उन्होंने सुमाते संगठन की स्थापना की, जो मुफ्त और निष्पक्ष चुनावों की मांग करता है और लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देता है।
ट्रंप का नोबेल दौड़ में पिछड़ना
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस साल नोबेल शांति पुरस्कार के दावेदार थे। ट्रंप को 8 देशों ने नॉमिनेट किया था, जिनमें पाकिस्तान, इस्राइल, अमेरिका, आर्मेनिया, अजरबैजान, माल्टा और कंबोडिया शामिल थे। अर्जेंटीना ने भी ट्रंप को पुरस्कार देने की सिफारिश की थी। ट्रंप को यूक्रेन युद्ध और अन्य अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में मध्यस्थता के लिए नोमिनेट किया गया था, लेकिन नोबेल समिति ने वेनेजुएला की विपक्षी नेता को सम्मानित करना चुना।
नोबेल शांति पुरस्कार का महत्व
नोबेल शांति पुरस्कार हर उस व्यक्ति या संस्था को दिया जाता है, जो वैश्विक शांति, मानवाधिकारों के संरक्षण और युद्ध रोकने में अहम योगदान देता है। इस साल मचाडो को यह सम्मान इसलिए दिया गया क्योंकि उन्होंने अपने देश में तानाशाही के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष किया और लोकतंत्र को मजबूती दी।
इस घोषणा के बाद मचाडो को वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और नैतिक समर्थन भी मिला है। वेनेजुएला के लोग भी उनके साहस और लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता को लेकर गर्व महसूस कर रहे हैं।
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