रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि अचानक झगड़े के बाद आवेश में आकर और बिना किसी पूर्व योजना के की गयी हत्या को हत्या नहीं माना जा सकता।
यह फैसला हाईकोर्ट ने श्री राम शर्मा की क्रिमिनल अपील पर सुनवाई के बाद दिया है। श्री राम शर्मा को देवघर सिविल कोर्ट ने 4 फरवरी 2017 को हत्या के जुर्म में दोषी करार देते हुए दस वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनायी थी।
साथ ही 10 हजार का जुर्माना भरने का भी आदेश दिया था। श्री राम शर्मा ने देवघर सिविल कोर्ट के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
अपीलकर्ता को तुरंत रिहा करने का आदेश
श्री राम शर्मा की क्रिमिनल अपील पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस सुभाष चांद की खंडपीठ में सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यदि गैर इरादतन हत्या अचानक झगड़े के बाद जोश में बिना किसी पूर्व योजना के की गयी हो और अपराधी कोई अनुचित लाभ ना उठाये या क्रूर तरीके से काम ना करे, तो उक्त मृत्यु आईपीसी के सेक्शन 300 के अंतर्गत नहीं आयेगी।
अपीलकर्ता द्वारा मृतक की हत्या करने का कोई इरादा नहीं था, अचानक झगड़ा हुआ और आवेश में आकर और बिना किसी पूर्व विचार के मृतक के सिर पर हथौड़े से वार किया गया।
चश्मदीद गवाह के साक्ष्य और मेडिकल साक्ष्य से भी पता चलता है कि मृतक के सिर पर केवल एक वार किया गया था।
इससे यह भी पता चलता है कि हत्या करने की कोई पूर्व योजना या इरादा नहीं था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा कि अपीलकर्ता पहले से ही दस साल से अधिक समय से हिरासत में था और सजा काट चुका था।
इसलिए अदालत ने निर्देश दिया कि अपीलकर्ता को तुरंत रिहा किया जाये।
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