Donald Trump:
वॉशिंगटन, एजेंसियां। अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई बैठक के बाद, यूक्रेन को शांति समझौते में गंभीर नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिकी और यूरोपीय नेताओं का दबाव यह दर्शाता है कि अगर यूक्रेन शांति समझौता करता है, तो उसे अपने बड़े हिस्से को गंवाना पड़ सकता है, और अगर वह समझौते से इनकार करता है, तो अमेरिका जैसे महत्वपूर्ण सहयोगी का साथ खो सकता है।
क्या शांति समझौता यूक्रेन के लिए फायदेमंद है?
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की शांति समझौते की संभावनाओं को लेकर खुश हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन के पास अब ज्यादा विकल्प नहीं हैं। ट्रंप और पुतिन के बीच इस बैठक में रूस ने सुरक्षा गारंटी की मांग की है, जबकि ट्रंप ने इस शांति समझौते के तहत यूक्रेन को नाटो के अनुच्छेद 5 के तहत सुरक्षा गारंटी देने की सहमति जताई है। हालांकि, यूक्रेन का नाटो में शामिल होना अभी भी अस्पष्ट है, जो कि यूक्रेन के लिए एक बड़ा मुद्दा था।
क्रीमिया और युद्ध क्षेत्र
डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि शांति समझौते के लिए यूक्रेन को क्रीमिया से अपना दावा छोड़ना होगा, जिसे रूस ने पहले ही अपने कब्जे में ले लिया है। इसके अलावा, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी कहा है कि शांति समझौते के लिए यूक्रेन को अपने हारे हुए इलाकों को छोड़ना पड़ेगा। हालांकि, राष्ट्रपति जेलेंस्की ने साफ तौर पर कहा है कि वे अपने क्षेत्र से कोई भी दावा नहीं छोड़ेंगे। रूस ने पहले ही यूक्रेन के लगभग 20% हिस्से पर कब्जा कर लिया है, और ट्रंप के बयान से यह स्पष्ट होता है कि पश्चिमी देश इस युद्ध को जल्दी समाप्त करने के लिए यूक्रेन पर दबाव बना सकते हैं, जिसका फायदा रूस को हो सकता है।
पुतिन की रणनीति की सफलता
रूसी राष्ट्रपति पुतिन की रणनीति को सराहा जा रहा है, जिन्होंने इस बैठक में रूस के पक्ष को इस तरह से रखा कि ट्रंप भी उन्हें हर मोर्चे पर सही मानते दिखे। ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने का वादा किया था, लेकिन अब उन पर इस युद्ध को रोकने का दबाव बढ़ गया है। यही दबाव अब यूक्रेन पर पड़ सकता है, जिससे शांति समझौते के बाद भी उसे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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