हरदीप निज्जर प्रेम में फंसे ट्रूडो! सत्ता से बेदखल होने की ये है वज
ओटावा, एजेंसियां। जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा महीनों से भारत के साथ चल रहे विवाद के बाद आया है। कनाडा में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों, जिसमें टोरंटो के पास मंदिर पर हमला भी शामिल है, ने दोनों देशों के रिश्तों को और बिगाड़ दिया।
पिता 15 साल तक प्रधानमंत्री रहेः
एक वैश्विक प्रगतिशील हस्ती के रूप में जस्टिन ट्रूडो का उत्थान व पतन आम तौर पर उदारवाद के संकट की एक मिसाल है। बतौर कनाडा के प्रधानमंत्री तीन बार नौ साल के कार्यकाल के लिए सत्ता में रहने के बाद, ट्रूडो ने 6 जनवरी को अपने इस्तीफे का एलान कर दिया।
वह 2015 के संघीय चुनाव में लिबरल पार्टी को एक दमदार जीत दिलाकर कनाडा की राजनीति की धुरी के रूप में उभरे थे, लेकिन वह उनकी लोकप्रियता का चरम साबित हुआ।
एक विशेषाधिकार प्राप्त और शक्तिशाली संतान के रूप में जन्मे – उनके पिता पियरे इलियट ट्रूडो 15 वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे – ट्रूडो की वाक्पटुता दुनियाभर के उदारवादी अभिजात वर्ग के लिए कर्णप्रिय थी, लेकिन देश की जनता के मूड को लेकर उनकी समझ बेहद ही खराब रही।
जैसे ही उनका असंतुलित उदारवाद संघीय सरकार की बेलगाम नीतियों में तब्दील हुआ, कनाडा के लोग उनके खिलाफ हो गए और लिबरल पार्टी अपने इतिहास में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। उसकी लोकप्रियता गिरकर अब बमुश्किल 15 फीसदी रह गई है।
गलत नीतियों से बढ़ी आबादीः
ट्रूडो की राजकोषीय नीति ने रूढ़िवादियों व नरमपंथियों को नाराज कर दिया और उन्होंने जिस उदार आप्रवासन नीति को मंजूरी दी, उससे आबादी में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई। नतीजतन आवास, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार के अवसर और मजदूरी पर दबाव पड़ा।
उनका सांस्कृतिक उदारवाद कनाडा की राजनीति के केंद्र से काफी दूर था। जब असंतोष के संकेत सार्वजनिक विरोध और आलोचना के रूप में प्रकट होने लगे, तो उन्होंने कड़े राजकीय उपायों का सहारा लिया और अपने आलोचकों को खारिज कर दिया।
भारत-अमेरिका जैसे देशों से रिश्ते सुधारने की कवायदः
ट्रूडो ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनके इस्तीफे से लिबरल पार्टी का पतन रुक जाएगा। लेकिन यह बहुत ही ज्यादा आशावादी मालूम होता है। पर ट्रूडो के बाद का कनाडा संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत सहित प्रमुख साझेदारों के साथ अपने रिश्तों को सुधारने में समर्थ हो सकता है।
लिबरल पार्टी को उनके उत्तराधिकारी को स्थापित करने में कई महीने लग सकते हैं या फिर उसकी अल्पमत सरकार गिर जाएगी और नए चुनाव होंगे। पियरे पोइलिवरे की अगुवाई वाली कंजरवेटिव पार्टी उभार पर है और जब भी चुनाव होंगे, वह भारी जीत की ओर बढ़ती दिखाई देती है बशर्ते जनता के मूड में एक और बदलाव न हो जाए।
इन मुद्दों पर विफल रहे ट्रूडोः
ट्रूडो के उत्तराधिकारी कनाडा-भारत रिश्तों को बचाने में मददगार हो सकते हैं। कनाडा में सिख चरमपंथियों को बढ़ावा देने की ट्रूडो की मजबूरियों के चलते उनके कार्यकाल के दौरान अजीबोगरीब हालात पैदा हुए।
कनाडा में एक खालिस्तानी कार्यकर्ता की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के संदेह के मसले पर भारत के साथ तनाव बढ़ाकर, ट्रूडो ने खराब राजनीतिक कौशल और कूटनीति का परिचय दिया। संयुक्त राज्य अमेरिका के चुनावों से पहले डोनाल्ड ट्रम्प के बारे में सार्वजनिक रूप से आलोचनात्मक और खारिज करने वाला नजरिया जाहिर करके, ट्रूडो ने नासमझी भरा काम किया।
वर्ष 2015 में उनका बड़े धूमधाम से खैरमकदम किया गया था, लेकिन कोई भी इस विदाई पर रोता नजर नहीं आ रहा।
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