Shibu Soren:
रांची। झारखंड के वीर शहीद बुधु भगत विश्वविद्यालय (पूर्व नाम डीएसपीएमयू) के मानवशास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ. अभय मिंज को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित इंटरनेशनल यूथ फोरम के पांचवें संस्करण में विशिष्ट वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया। बैंकॉक में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर उन्होंने आदिवासी समाज, जलवायु परिवर्तन और शिक्षा संस्थानों की भूमिका पर विचार रखे।
अपने संबोधन की शुरुआत डॉ. मिंज ने झारखंड के दिवंगत आदिवासी नेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए की। उन्होंने कहा, “हमारे समाज में किसी भी महत्वपूर्ण अवसर पर पूर्वजों को स्मरण करना हमारी परंपरा है। हाल ही में हमने राष्ट्र के सबसे बड़े सामाजिक-राजनीतिक आदिवासी नेता को खोया है। दिशोम गुरु का निधन एक अपूरणीय क्षति है।”
पूर्वज ही जीवित ‘आदि शक्ति’…
डॉ. मिंज ने मंच से यह भी कहा कि आदिवासी समुदाय के लिए उनके पूर्वज ही जीवित ‘आदि शक्ति’ हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘दिशोम गुरु’ का अर्थ है ‘भूमि का नेता’ और शिबू सोरेन ने यह नाम अपने कर्मों से सार्थक किया।
जलवायु सकट पर चर्चा कीः
उन्होंने जलवायु संकट की चर्चा करते हुए कहा कि पारंपरिक आदिवासी ज्ञान और जीवनशैली में पर्यावरण संरक्षण की समृद्ध परंपरा है। आज जब विश्व जलवायु परिवर्तन से जूझ रहा है, ऐसे में आदिवासी दृष्टिकोण को वैश्विक नीति-निर्माण में शामिल करना समय की मांग है।
फोरम में दुनिया भर से आए युवाओं और विद्वानों के बीच डॉ. मिंज की प्रस्तुति को विशेष सराहना मिली। कार्यक्रम में आदिवासी चेतना, पारंपरिक ज्ञान, और टिकाऊ विकास जैसे विषयों पर भी चर्चा हुई।
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