नयी दिल्ली : राजनीतिक वित्तपोषण से संबंधित चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने बृहस्पतिवार को कहा कि पारदर्शिता आयोग की पहचान रही है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने निर्देश दिया कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को राजनीतिक दलों द्वारा हासिल किए गए प्रत्येक चुनावी बॉण्ड के विवरण का खुलासा करना होगा।
पीठ ने कहा कि इस संबंध में दी जाने वाली जानकारी में बॉण्ड जारी करने की तारीख और रकम का उल्लेख होना चाहिए तथा यह छह मार्च तक निर्वाचन आयोग (ईसी) को दी जानी चाहिए।
इस बारे में पूछे जाने पर निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमारे पास उच्चतम न्यायालय के फैसले पर कहने के लिए कुछ नहीं है।’’
फैसले का स्वागत करते हुए सूत्रों ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने हमेशा पारदर्शिता पर जोर दिया है। इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, ”पारदर्शिता आयोग की पहचान रही है।”
पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने भी यही विचार व्यक्त किए। अरोड़ा ने कहा कि व्यवस्था और अधिक पारदर्शी होनी चाहिए तथा आयोग का हमेशा यही रुख रहा है।
उच्चतम न्यायालय की पीठ ने यह भी कहा कि आयोग को एसबीआई द्वारा साझा की गई जानकारी 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करनी होगी।
प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।
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