रांची। मोस्ट वांटेड मयंक सिंह की गिरफ्तारी से अमन साव को बड़ा झटका लगा है। झारखंड का डान अमन साव भले ही जेल में हो, पर उसका आपराधिक साम्राज्य बेखौफ चल रहा है।
उसके गुर्गे कोयलांचल समेत राजधानी रांची और आसपास के आधा दर्जन जिलों में खौफ का पर्याय बन गये हैं। खास तौर पर मयंक सिंह तो पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था। आये दिन उसके नाम से अमन साव का हवाला देते हुए व्यवसायी, बिल्डर, कोयला कारोबारी और जमीन के धंधेबाजों से रंगदारी मांगी जा रही थी।
रंगदारी देने से आनाकानी करनेवालों पर जानलेवा हमले भी हो रहे थे। इसमें कई जानें तक जा चुकी हैं। इसके बाद से ही झारखंड पुलिस आजिज आकर हाथ धोकर मयंक सिंह के पीछे पड़ गई थी।
पुलिस उसकी तलाश में राजस्थान तक पहुंच गई थी। बताते चलें कि जेल में बंद कुख्यात अपराधी अमन साव के गुर्गे और उसके रंगदारी का कारोबार देखने वाला मयंक सिंह न तो झारखंड पुलिस के हाथ आ रहा था और न ही आतंकवाद निरोधक दस्ता यानी एटीएस झारखंड उसे ढूंढ़ पा रही थी।
एटीएस की टीम उसकी तलाश में राजस्थान तक पहुंच गई थी। एटीएस ने राजस्थान स्थित मयंक सिंह के घर पर फरारी का इश्तेहार चिपकाया था।
अमन और मयंक के खिलाफ 166 केसः
एटीएस की टीम इसी साल अप्रैल माह में राजस्थान के अनूपगढ़ जिले के मंडी थाना क्षेत्र स्थित घड़साना गांव में मयंक सिंह के घर पहुंची थी। इस दौरान पुलिस के साथ ढोल नगाड़ा वाले भी थे। ढोल-नगाड़ा बजाकर गांववालों को बताया गया कि मयंक फरार है।
उसकी तलाश में एटीएस और पुलिस की टीम यहां पहुंची है। फिर उसके घर पर फरारी का इश्तेहार चिपकाया गया था। एटीएस के साथ राजस्थान की स्थानीय थाने की पुलिस भी थी। एटीएस ने खुलासा किया कि मयंक सिंह का असली नाम सुनील कुमार मीणा है। एटीएस को यह भी जानकारी मिली थी कि वह मलेशिया में रहकर झारखंड के कोयला कारोबारियों और व्यवसायियों को अमन साव के नाम पर धमकी देता है।
फिर उन्हें डरा-धमका कर उनसे रंगदारी और लेवी वसूलता है। बता दें कि अमन साव और मयंक सिंह के खिलाफ झारखंड के अलग-अलग थानों में 166 से अधिक एफआईआर दर्ज हैं।
राजस्थान में मयंक सिंह के रिश्तेदारों का आलीशान मकान है।
एटीएस उसकी अचल संपत्ति के बारे में जानकारी जुटा रही थी कि कहीं उसने रंगदारी और लेवी के पैसे को अपने गांव में तो निवेश नहीं किया। झारखंड एटीएस उसके गांव सहित अन्य रिश्तेदारों के बारे में भी पता कर रही थी।
इसमें राजस्थान पुलिस एटीएस की मदद कर रही थी। बताया जाता है कि मयंक सिंह तकनीकी तौर पर काफी दक्ष अपराधी है। इसी का फायदा उठा कर वह अमन साव के कहने पर कारोबारियों से इंटरनेट कॉल के जरिये रंगदारी मांगता था।
इन सबह जानकारी के बाद एटीएस ने उसकी तलाश तेज कर दी थी। और जगह-जगह जाल बिछा रही थी। फिर केंद्रीय गृह मंत्रालय के सहयोग से विदेशों में मयंक सिंह की तलाश शुरू की गयी।
इस क्रम में झारखंड एटीएस की टीम मलेशिया समेत मध्य एशिया के कई देशों में पहुंची और अंततः अजर बैजान से मंयक सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। अब उसे भारत लाने की तैयारी की जा रही है।
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