Cervical cancer:
नई दिल्ली, एजेंसियां। दुनियाभर में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर साल करीब 6 लाख नई महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आती हैं और लगभग 3 लाख महिलाओं की मौत होती है। यह कैंसर यूटरस के निचले हिस्से यानी सर्विक्स में होता है, जो वेगाइना को यूटरस से जोड़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बीमारी धीरे-धीरे विकसित होती है और शुरुआती चरण में पहचान मुश्किल होती है।
आरएमएल हॉस्पिटल की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सलोनी चड्ढा बताती हैं कि सर्वाइकल कैंसर का सबसे प्रमुख कारण ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) है, जो इंटरकोर्स के माध्यम से फैलता है। कई बार यह संक्रमण अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन लंबे समय तक बना रहने पर यह कैंसर का रूप ले सकता है। कमजोर इम्यूनिटी, असुरक्षित यौन संबंध, धूम्रपान और नियमित जांच न करवाना इसके जोखिम को बढ़ाते हैं।
सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती लक्षण:
इस बीमारी के शुरुआती चरण में आमतौर पर कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते, लेकिन जैसे-जैसे यह बढ़ती है, वेगाइना से असामान्य ब्लीडिंग, इंटरकोर्स के बाद दर्द या रक्तस्राव, बदबूदार डिस्चार्ज, कमर के निचले हिस्से में दर्द, थकान और वजन में कमी जैसे संकेत सामने आते हैं। उन्नत अवस्था में टांगों में सूजन और पेशाब करने में कठिनाई भी हो सकती है।
सर्वाइकल कैंसर से बचाव के उपाय:
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि महिलाएं HPV वैक्सीन जरूर लगवाएं यह 9 से 26 वर्ष की उम्र में सबसे अधिक प्रभावी होती है। हर तीन साल में पैप स्मीयर टेस्ट करवाना जरूरी है ताकि शुरुआती बदलावों का पता चल सके। इसके अलावा, सुरक्षित इंटरकोर्स, धूम्रपान से परहेज, और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से इस बीमारी से बचाव संभव है।यदि असामान्य ब्लीडिंग या दर्द जैसे लक्षण दिखें तो उन्हें नज़रअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि शुरुआती जांच ही जीवन बचा सकती है।
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