Surya Hansda case:
रांची। झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले बीजेपी ने सरकार के समक्ष 2 मांगें रखी हैं। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मीडिया से बातचीत करते हुए सूर्या हांसदा एनकाउंटर की सीबीआई जांच और रांची के नगड़ी इलाके की जमीन आदिवासियों को वापस करने की मांगें रखीं।
सूर्या हांसदा की मौत को बताया सुनियोजित हत्याः
उन्होंने सूर्या हांसदा की मौत को एक सुनियोजित हत्या बताते हुए कहा कि 10 अगस्त की शाम उन्हें नावाडीह गांव से गिरफ्तार किया गया और ललमटिया महगामा ले जाते समय उनकी हत्या कर दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि सूर्या को थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया गया, जो उनके शव को देखने से स्पष्ट हो रहा था।
सामाजिक और सक्रिय राजनीतिक व्यक्ति थे सूर्याः
मरांडी ने बताया कि सूर्या हांसदा सिर्फ एक आम नागरिक नहीं, बल्कि एक राजनीतिक और सामाजिक रूप से सक्रिय व्यक्ति थे। वे बोरियो विधानसभा सीट से चार बार चुनाव लड़ चुके थे और क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ थी। वह अनाथ और असहाय बच्चों की मदद करते थे और उनका परिवार भी सामाजिक व राजनीतिक रूप से सक्रिय रहा है। उनकी मां जिला परिषद की सदस्य रह चुकी हैं। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी दल के लोग सूर्या के खिलाफ दर्ज केसों का हवाला दे रहे हैं, जबकि 24 में से 14 मामलों में वह बरी हो चुके थे।
5 साल में 9 केस दर्ज किये गयेः
बाबूलाल ने कहा कि जब से हेमंत सोरेन की सरकार बनी है, 2020 से 2025 के बीच उनके ऊपर 9 नए केस दर्ज किए गए। सूर्या सिर्फ कोयला और बालू माफिया के खिलाफ खड़े थे, इसलिए उन्हें निशाना बनाया गया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि इस एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच केवल सीबीआई ही कर सकती है और झारखंड के आदिवासी समाज की भी यही मांग है। “हम यह मांग विधानसभा में भी उठाएंगे।”
नगड़ी की जमीन पर भी तीखा रुखः
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि नगड़ी की 227 एकड़ जमीन आदिवासियों की भूईहरी और खेतीहर जमीन है, जिसे जबरन अधिग्रहित करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि 1956-57 में बिहार सरकार ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के लिए इस जमीन का अधिग्रहण करना चाहा था, लेकिन विरोध के चलते उस समय के मुख्यमंत्री ने स्वयं जाकर किसानों से कहा कि वे अपनी जमीन पर खेती करते रहें।
2012 में भी इसके अधिग्रहण की कोशिश हुई, तब भी ग्रामीणों के विरोध के कारण सरकार को पीछे हटना पड़ा। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने सूचना अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत बीएयू से अधिग्रहण संबंधित दस्तावेज मांगे थे, लेकिन बीएयू ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके पास कोई अधिकृत दस्तावेज नहीं है और उन्होंने जमीन अधिग्रहित नहीं की है।
मरांडी ने मांग की कि राज्य सरकार विधानसभा में सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करे कि नगड़ी की यह जमीन रैयतों से नहीं छीनी जाएगी, उनका रसीद कटेगा और वे वहां अपनी खेती-बाड़ी जारी रख सकेंगे। उन्होंने कहा, “ये दोनों ही मुद्दे सीधे तौर पर झारखंड के आदिवासी समाज से जुड़े हुए हैं और हम इनके लिए सड़कों से लेकर सदन तक आवाज़ उठाते रहेंगे।
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