Rajya Sabha:
नई दिल्ली, एजेंसियां। केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया कि संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवाद’ और ‘धर्म निरपेक्ष’ शब्द हटाने की कोई मौजूदा योजना या इरादा नहीं है। ये शब्द आपातकाल के दौरान जोड़े गए थे।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लिखित जवाब में कहा, ‘कुछ समूह इन शब्दों पर पुनर्विचार के लिए राय व्यक्त कर सकते हैं। इनसे सार्वजनिक चर्चा या माहौल बनता है, लेकिन यह सरकार का आधिकारिक रुख नहीं दर्शाता।’ उन्होंने बताया कि 42वें संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में नवंबर 2024 में खारिज हो चुकी हैं।
आरएसएस ने उठाई है मांगः
आपातकाल के 50 साल होने पर आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने यह मुद्दा उठाया था। इसके बाद निवर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इसे संविधान का नासूर बताया था।
दरअसल ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द 1976 में 42वें संशोधन के जरिए शामिल किए गए थे। इस दौरान देश में आपातकाल था। 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी।
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