Foreign affairs committee:
नई दिल्ली, एजेंसियां। कांग्रेस सांसद और विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर के लिए बड़ी राहत की खबर है। सरकार संसद की स्थायी समितियों का कार्यकाल मौजूदा एक वर्ष से बढ़ाकर दो वर्ष करने की तैयारी कर रही है। इस बदलाव से न केवल समितियों के काम में निरंतरता आएगी, बल्कि विधेयकों और रिपोर्टों की गहन पड़ताल भी संभव होगी।
स्थायी समितियों का कार्यकाल बढ़ने का महत्व
अभी तक स्थायी समितियों का कार्यकाल हर साल होता है, जिससे नए सदस्यों के आने पर निरंतरता टूट जाती थी। सरकार का प्रस्ताव है कि अब सदस्यों और अध्यक्षों का कार्यकाल दो साल का होगा। इससे समितियों के सामने आने वाले विषयों, बजट, नीतियों और रिपोर्टों की विस्तार से समीक्षा की जा सकेगी।
शशि थरूर को मिलेगा राजनीतिक लाभ
विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष थरूर की नियुक्ति पिछले साल 26 सितंबर को हुई थी। फिलहाल उनकी पार्टी के भीतर स्थिति पूरी तरह स्थिर नहीं है। कार्यकाल बढ़ने से थरूर दो साल तक समिति के अध्यक्ष बने रह सकते हैं, जो उनके राजनीतिक रुतबे को मजबूत करेगा।
विपक्ष की मांग और सरकार की प्रतिक्रिया
विपक्षी सदस्य लंबे समय से स्थायी समितियों के कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहे थे। उनका तर्क है कि दो साल का कार्यकाल होने से समिति बेहतर और गहन जांच कर सकेगी। सरकार इस सुझाव पर गंभीरता से विचार कर रही है और संभव है कि इस साल से स्थायी समितियों का गठन दो साल के लिए किया जाए।
संसद की स्थायी समितियों की संरचना
संसद में वर्तमान में 24 स्थायी समितियां हैं। प्रत्येक समिति में 31 सदस्य होते हैं, जिनमें 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा से होते हैं। ये समितियां संबंधित मंत्रालयों और विभागों की निगरानी करती हैं, और इनके अध्यक्ष व सदस्य लोकसभा अध्यक्ष तथा राज्यसभा सभापति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।
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