Supreme Court: अभी नहीं होगी इस जमीन की खरीद-बिक्री
रांची। झारखंड हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जायेगी। यह फैसला गैर मजरउआ खास जमीन से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने गैर मजरुआ खास जमीन की बिक्री पर लगी रोक हटा दिया है, जिससे लोग काफी उत्साहित थे। पर अब राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करने की अनुमति दे दी है। इससे फिलहाल इस प्रकृति की जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक जारी रहेगी।
जमीन के स्वामित्व को लेकर उलझन बढ़ीः
राज्य में हजारों एकड़ गैर मजरुआ खास जमीन की रसीद अभी नहीं कटेगी। इसकी खरीद-बिक्री भी अभी नहीं होगी। राज्य सरकार झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी। राज्य सरकार ने भू-राजस्व एवं निबंधन विभाग को हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की स्वीकृति दी है। इससे गैर मजरुआ खास जमीन के स्वामित्व को लेकर एक बार फिर उलझन बढ़ गया है। सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार के जाने और फिर फैसला आने तक गैर मजरुआ खास जमीन की खरीद-बिक्री और रसीद कटना मुश्किल हो गया है। इससे राज्य के हजारों लोगों को फिर एक बार निराशा का सामना करना पड़ेगा जो हाईकोर्ट के फैसले से उत्साहित थे।
मई में आया था हाईकोर्ट का फैसलाः
मई 2025 के पहले सप्ताह में झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश राजेश शंकर की डबल बेंच ने अपने फैसले में राज्य सरकार की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया था, जिसमें केसरे हिंद भूमि, गैर मजरुआ आम भूमि, वनभूमि, जंगल समेत अन्य विभागों के लिए अर्जित सरकारी भूमि के साथ-साथ गैर मजरुआ खास जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी गयी थी। बता दें कि 26 अगस्त 2015 को भू-राजस्व एवं निबंधन विभाग के तत्कालीन सचिव केके सोन के हस्ताक्षर से यह आदेश जारी किया गया था। उस आदेश में कहा गया है कि निबंधन अधिनियम 1908 की धारा 22(क) के तहत सरकारी भूमि(केसरे हिंद, गैर मजरुआ आम व खास, वन भूमि, जंगल या विभिन्न विभागों के लिए अर्जित या उसे हस्तांतरित भूमि) के संबंध में भू-राजस्व विभाग, प्रमंडलीय आयुक्त, जिला उपायुक्त द्वारा निबंधन पदाधिकारी को सूचित किया गया है, के हस्तांतरण तत्काल प्रभाव से रोक लगाया जाता है। हाईकोर्ट ने सरकार के इस आदेश को रद्द कर दिया।
विभाग ने अब तक रद्द नहीं किया आदेशः
मई के प्रथम सप्ताह में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के आलोक में भू-राजस्व विभाग द्वारा अब तक 2015 में जारी आदेश को रद्द नहीं किया गया। इसीलिए क्योंकि राज्य सरकार हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट जाना चाहती थी।
खरीद बिक्री पर रोक हटाने की होती रही है मांगः
यहां मालूम हो कि गैर मजरुआ खास भूमि की रसीद काटने और उसकी खरीद-बिक्री को लेकर राज्य के विभिन्न संगठन और रैयत लगातार आवाज उठाते रहे हैं। झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी बिक्री पर लगायी गयी रोक को हटाने के लिए जोरदार ढंग से आवाज उठाया था। सरकार से लगायी गयी रोक हटाने का आग्रह करते रहे हैं। इतना ही नहीं भू-राजस्व विभाग के आदेश के विरुद्ध रांची की सीएनडीटीए नामक कंपनी, जमशेदपुर की मेसर्स वीएसआरएस कंस्ट्रक्शन, गिरिडीह के भगवती देवी एवं वीरेंद्र नारायण देव तथा धनबाद के विनोद अग्रवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के डबल बेंच ने अपना फैसला सुनाया था।
झारखंड में गैर मजरुआ भूमि का विवादः
राज्य सरकार ने 50,660 जमाबंदी धारकों की जमीन की जमाबंदी को संदेहास्पद या अवैध मानते हुए लगभग 94,000 एकड़ भूमि की रसीद काटे जाने पर रोक लगा दिया था। इसमें लगभग 50,000 एकड़ से अधिक गैरमजरुआ खास भूमि बतायी गयी है। सरकार का मानना है कि गैर मजरुआ जमीन पर कुछ बड़े बड़े लोगों ने कब्जा कर रखा है। भू-माफियाओं के कब्जे में सबसे अधिक
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