पटना। बिहार के एजुकेशन सिस्टम में डेप्यूटेशन रूपी दीमक लग गया है, जो पूरे सिस्टम को खोखला कर रहा है, जिससे शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है। इतना ही नहीं, डेप्यूटेशन के लिए लाखों रुपये की बोली भी लग रही है।
इस पूरे खेल में शिक्षक से लेकर कमर्चारी और पदाधिकारी तक शामिल हैं। अब राज्य के शिक्षा विभाग के अवर मुख्य सचिव केके पाठक का भी ध्यान इधर चला आया है। उन्होंने इसे लेकर कड़े निर्देश दिये हैं।
इस आलोक में विभाग ने ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। अब उन शिक्षकों पर गाज गिरी है, जो विभागीय पदाधिकारी से सेटिंग कर प्रतिनियुक्ति के तहत ड्यूटी करते हैं। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ये खेल बहुत पुराना है।
पूर्व में ही शिक्षा विभाग को इस खेल के बारे में पता चला था। इसे विभाग ने गंभीरता से लिया था और शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति को रद्द करने का आदेश दिया था। जिलों में कुछ शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति रद्द भी हुई थी। पर अब भी बहुत सारे शिक्षक प्रतिनियुक्त ही है।
इस बीच, एक बार फिर विभाग ने प्रतिनियुक्ति रद्द करने का आदेश जारी किया है। इसे केके पाठक की सख्ती का नतीजा बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि हाल में केके पाठक ने जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय को सख्त निर्देश जारी किए हैं।
बताते चलें कि डीईओ और अन्य पदाधिकारियों की ओर से बिना किसी ठोस कारण के शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति कर दी जाती है। यानी प्रतिनियुक्ति का खेल सेटिंग के तहत होता है। शिक्षक, अधिकारी से मिलीभगत कर अपनी सुविधा अनुसार मूल विद्यालय से सुविधा वाले विद्यालय में प्रतिनियुक्ति करा लेते हैं।
सीतामढ़ी जिले में अब भी बहुत सारे शिक्षक मूल विद्यालय से दूसरे जगह प्रतिनियुक्ति पर हैं। इनमें कुछ शिक्षकों की ही प्रतिनियुक्ति उचित कारण से हैं, जबकि अधिकांश सेटिंग-गेटिंग के तहत प्रतिनियुक्ति का लाभ उठा रहे हैं।
जून 2023 में उचित को छोड़ अन्य शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति को आरडीडीई ने रद्द कर दिया था, पर जिला में रद्द करने की यह कार्रवाई कागजी खानापूर्ति साबित हुई थी।
शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति का खेल कोई नई बात नहीं है। सेटिंग-गेटिंग के तहत यह खेल खेला जाता रहा है। प्रतिनियुक्ति अवैध कमाई का जरिया भी माना जाता है।
जिला परिषद की बैठक में कई पार्षदों ने शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति को अवैध कमाई का एक जरिया बताया था और इसे रद्द करने की मांग की थी।
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