Tariff War:
नई दिल्ली, एजेंसियां। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ वॉर (शुल्क युद्ध) ने अब एविएशन सेक्टर को भी अपनी चपेट में ले लिया है। इस व्यापारिक तनातनी के बीच चीन ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर सीधा इशारा करते हुए बड़ा फैसला लिया है।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में सरकार ने देश की सभी एयरलाइंस को आदेश दिया है कि वे अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग (Boeing) से जेट विमानों की डिलीवरी लेना बंद कर दें, और साथ ही अमेरिका से किसी भी प्रकार के एयरक्राफ्ट पार्ट्स और उपकरणों की खरीद पर भी रोक लगा दी गई है।
Tariff War: टैरिफ की मार और जवाबी रणनीति
अमेरिका ने हाल ही में चीन से होने वाले आयात पर 145% तक का टैरिफ लगा दिया है। जवाब में, चीन ने भी अमेरिकी आयात पर 125% तक का शुल्क लागू कर दिया है। इन कदमों से वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मच गई है, और एयरलाइन कंपनियों को विशेष रूप से नुकसान झेलना पड़ रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी सरकार अब उन एविएशन कंपनियों की मदद करने पर विचार कर रही है जो बोइंग जेट को लीज पर लेती हैं और इसके लिए भारी भुगतान करती हैं।
Tariff War: बोइंग को झटका: डिलीवरी और उत्पादन प्रभावित
एविएशन फ्लाइट्स ग्रुप के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 10 बोइंग 737 मैक्स विमान चीनी एयरलाइंस को डिलीवरी के लिए तैयार हैं, जिनमें चाइना सदर्न एयरलाइंस, एयर चाइना लिमिटेड और जियामेन एयरलाइंस जैसी कंपनियों के विमान शामिल हैं।
कुछ जेट अमेरिका के सिएटल स्थित बोइंग फैक्ट्री में तैयार हैं, जबकि अन्य चीन के झोउशान फिनिशिंग सेंटर में हैं। हालांकि जिन विमानों का भुगतान पहले से हो चुका है, उन्हें ‘केस-बाय-केस’ आधार पर डिलीवरी की अनुमति दी जा सकती है।
Tariff War: चीन का एविएशन मार्केट और बोइंग पर असर
चीन आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एविएशन बाजार है, और भविष्यवाणी है कि आने वाले 20 वर्षों में वैश्विक विमानों की मांग में चीन की हिस्सेदारी 20% तक होगी। एक समय था जब बोइंग की कुल वैश्विक डिलीवरी का 25% से अधिक हिस्सा चीन को जाता था।
लेकिन 2019 में बोइंग 737 मैक्स की दो दुर्घटनाओं के बाद सबसे पहले चीन ने ही इसे ग्राउंड किया था। इसके बाद से चीन का रुझान यूरोपीय कंपनी एयरबस (Airbus SE) की ओर बढ़ा है, और अब घरेलू विमान निर्माता COMAC C919 भी बोइंग का मजबूत विकल्प बन रहा है।
Tariff War: बोइंग की गुणवत्ता पर भी सवाल
साल 2024 की शुरुआत में बोइंग को एक और झटका तब लगा जब उड़ान के दौरान एक विमान का डोर प्लग फट गया, जिससे उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठे। ऐसे में चीन द्वारा बोइंग से विमानों की खरीद को रोकना केवल टैरिफ वॉर का जवाब नहीं, बल्कि सुरक्षा और रणनीतिक प्राथमिकताओं का भी संकेत माना जा रहा है।
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