नई दिल्ली, एजेंसियां। आतंकियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है।
प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के इन आतंकियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा एक्शन लिया है।
SC ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए सभी की जमानत रद्द कर दी है। PFI के इन 8 सदस्यों पर देशभर में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने की साजिश रचने का आरोप है।
आठ आरोपियों में बरकतुल्ला, इदरीस, मोहम्मद अबुथाहिर, खालिद मोहम्मद, सैयद इशाक, खाजा मोहिदीन, यासर अराफात और फैयाज अहमद का नाम शामिल हैं।
सभी को केरल, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश समेत देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भारत और विदेशों में धन इकट्ठा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
पिछले साल अक्टूबर में मद्रास हाईकोर्ट ने इन आरोपियों को बेल दे दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की बेंच ने सुनवाई की। SC ने कहा, अपराध की गंभीरता और अधिकतम सजा के तौर पर जेल में बिताए गए सिर्फ 1.5 साल को देखते हुए हम जमानत देने के मद्रास हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक हैं।
अदालत व्यक्तिगत स्वतंत्रता देने वाले आदेशों में हस्तक्षेप कर सकती है, अगर वो गलत आधार पर दिए गए हों।
जस्टिस त्रिवेदी ने अपने निर्णय में कहा कि जांच एजेंसी द्वारा हमारे समक्ष प्रस्तुत सामग्री के आधार पर प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
PFI के इन सदस्यों पर देश के खिलाफ षड्यंत्र रचने और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं।
जमानत पर इनकी रिहाई रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए अधिकतम सजा दी गई है।
जबकि उन्होंने सिर्फ 1.5 डेढ़ साल कारावास में बिताए हैं। इस कारण हम हाईकोर्ट के जमानत पर रिहाई के फैसले में दखल दे रहे हैं।
कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता सर्वोच्च है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ट्रायल में तेजी लाए जाने का भी निर्देश दिया है।
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