Supreme Court:
नई दिल्ली, एजेंसियां। हैदराबाद विश्वविद्यालय के पास कांचा गचीबावली क्षेत्र में हो रही पेड़ों की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने तेलंगाना सरकार से तीखे सवाल पूछते हुए कहा कि पेड़ों को काटने की इतनी जल्दी आखिर क्यों थी?
Supreme Court: पर्यावरण की चिंता और जानवरों का संकट
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि “हम पर्यावरण को हुए नुकसान से चिंतित हैं। ऐसे वीडियो देखकर हैरानी होती है, जिनमें जानवर आश्रय की तलाश में भागते नजर आ रहे हैं।” कोर्ट ने सरकार से पूछा कि उन जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।
Supreme Court:सरकार को सख्त निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि अगली सुनवाई तक (15 मई 2025) वहां एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा। साथ ही तेलंगाना के वन्यजीव वार्डन को आदेश दिया गया है कि वह कटाई से प्रभावित क्षेत्रों में वन्यजीवों की स्थिति की जांच करें और तत्काल सुरक्षा के उपाय करें। कोर्ट ने 100 एकड़ भूमि में जंगल और हरियाली बहाल करने की योजना बनाने को भी कहा है।
Supreme Court:क्या है मामला?
400 एकड़ भूमि, जो राज्य सरकार की है, को तेलंगाना इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन (TIIC) को विकास कार्यों के लिए आवंटित किया गया है। TIIC ने 30 मार्च से वहां पेड़ों की कटाई शुरू कर दी थी, जिससे छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं में नाराजगी फैल गई।
Supreme Court:छात्रों और पर्यावरणविदों का विरोध
हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र और पर्यावरण कार्यकर्ता इस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे वन संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन हो रहा है। सरकार का तर्क है कि यह जमीन उसकी है, न कि विश्वविद्यालय की, और वह किसी कानून का उल्लंघन नहीं कर रही।
Supreme Court:कोर्ट की स्वतः संज्ञान कार्रवाई
वरिष्ठ अधिवक्ता परमेश्वर द्वारा मामला उठाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को स्वतः संज्ञान लिया और निर्देश दिए कि अगले आदेश तक किसी भी प्रकार की गतिविधि नहीं होगी। कोर्ट ने केंद्रीय समिति को स्थल का दौरा कर रिपोर्ट देने को भी कहा है।
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