बिना ठोस कारण के 17 माह में अजय को हटा दिया था
रांची। आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता को झारखंड का प्रभारी डीजीपी बनाना विवादों में घिर गया है।
बिना किसी ठोस कारण के सिर्फ 17 महीने में स्थाई डीजीपी अजय कुमार सिंह को हटाकर अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी बनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है।
इस संबंध में नरेश मखानी ने अवमानना याचिका दाखिल की थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने इस पर सुनवाई करते हुए झारखंड के मुख्य सचिव एल खियांग्ते और अनुराग गुप्ता को नोटिस जारी किया है।
दो सप्ताह में पक्ष रखने को कहा शीर्ष अदालत ने
दोनों को दो सप्ताह के भीतर अपना पक्ष रखने को कहा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने बताया कि झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले दिए गए आदेश की अवहेलना की है।
प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए राज्य सरकार ने गुप्ता को प्रभारी डीजीपी नियुक्त किया है। उन्होंने अनुराग गुप्ता की पदस्थापना रद्द करने का आग्रह किया है।
बिना ठोस कारण के दो साल से पहले डीजीपी को नहीं हटा सकते
सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी के पदस्थापन को लेकर एक गाइडलाइन तय की थी। इसमें कहा गया था कि कोई भी अधिकारी दो साल के लिए डीजीपी बनेगा।
दो साल से पहले उन्हें पद से हटाने के लिए ठोस कारण होना चाहिए। लेकिन झारखंड सरकार ने यूपीएससी पैनल के माध्यम से डीजीपी बनाए गए अजय कुमार सिंह को 17 माह में ही पद से हटा दिया था।
उन्हें 15 फरवरी 2023 को डीजीपी बनाया गया और इस साल 26 जुलाई को बिना किसी ठोस कारण के हटा दिया गया।
उनकी जगह 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता को डीजीपी बना दिया गया।
अजय को हटाने से पहले उन्हें शो-कॉज भी नहीं किया गया। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है।
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