केरल और मद्रास हाईकोर्ट का आदेश खारिज
नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केरल हाईकोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट का फैसला खारिज कर दिया है।
केरल हाईकोर्ट ने 13 सितंबर 2023 को कहा था कि अगर कोई व्यक्ति अश्लील फोटो या वीडियो देख रहा है तो यह अपराध नहीं है, लेकिन अगर दूसरे को दिखा रहा है तो यह गैरकानूनी होगा।
मद्रास हाईकोर्ट ने सुनाया था ये फैसला
केरल हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर मद्रास हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को चाइल्ड पोर्नोग्राफी के केस में एक आरोपी को दोषमुक्त कर दिया था।
इसके बाद NGO जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस और नई दिल्ली के NGO बचपन बचाओ आंदोलन ने सुप्रीम कोर्ट में फैसलों के खिलाफ याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
हम संसद को सुझाव देते हैं कि POCSO एक्ट में बदलाव करें और इसके बाद पोर्नोग्राफी शब्द की जगह चाइल्ड सेक्शुअली एब्यूसिव एंड एक्सप्लॉइटेटिव मैटिरियल का इस्तेमाल किया जाए। इसके लिए अध्यादेश भी लाया जा सकता है।
बेंच ने कहा, हमने यह फैसला चाइल्ड पोर्नोग्राफी के चलते बच्चों के उत्पीड़न और दुर्व्यवहार की घटनाओं के आधार पर दिया। ऐसे मामलों की शिकायत करने में समाज की कितनी भूमिका है, इस पर भी ध्यान रखा जाये।
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