Supreme Court:
नई दिल्ली , एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रोहिंटन नरीमन ने सोमवार को कड़ी चेतावनी दी और कहा कि अगर संविधान के ‘मूल ढांचे’ के सिद्धांत को कमजोर किया गया तो जलियांवाला बाग जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति हो सकती है।
Supreme Court: न्यायमूर्ति ने अपनी पुस्तक को लेकर क्या कहा
न्यायमूर्ति नरीमन ने अपनी पुस्तक ‘बेसिक स्ट्रक्चर डॉक्ट्रिन प्रोटेक्टर ऑफ कॉन्स्टीट्यूशनल इंटीग्रिटी’ के विमोचन के अवसर पर कहा, “यह सिद्धांत हमेशा के लिए अस्तित्व में रहना चाहिए। अगर यह खत्म हो जाता है, तो फिर भगवान ही मालिक है। जलियांवाला बाग जैसी घटना की आशंका उत्पन्न हो सकती है।”
Supreme Court: केशवानंद भारती मामले की भी चर्चा की
नरीमन ने 1973 के केशवानंद भारती मामले की भी चर्चा की, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के “मूल ढांचे” सिद्धांत को अपनाया था। इसके अनुसार, संसद को संविधान की बुनियादी विशेषताओं में संशोधन करने का अधिकार नहीं है। यह निर्णय संसद की शक्ति को सीमित करता है और न्यायपालिका को संविधान में किए गए संशोधनों की समीक्षा करने का अधिकार प्रदान करता है।
नरीमन ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि संविधान का मूल ढांचा कमजोर हो जाता है, तो यह न केवल संविधान की रक्षा के लिए बल्कि समाज के लोकतांत्रिक ताने-बाने को बनाए रखने के लिए भी खतरे की घंटी हो सकता है।
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