रांची। यूजीसी द्वारा अप्रेंटिसशिप बेस्ड डिग्री प्रोग्राम के लिए ड्राफ्ट का प्रारुप तैयार कर लिया गया है। इस ड्राफ्ट पर स्टेक होल्डर्स से सुझाव देने के लिए कहा है। इस प्रोग्राम का उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों के ग्रेजुएट कोर्सों में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स को अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग प्राप्त करने में सक्षम बनाना है।
यूजीसी ने कहा है कि क्लास में जो पढ़ाया जाता है, उसके माध्यम से इंडस्ट्री की आवश्यकताओं के बीच के अंतर को पाटने की जरूरत है।
इंडस्ट्री की जरूरतों के अनुसार चलें कोर्सः
इंडस्ट्री की जरुरतों के अनुसार विश्वविद्यलयों में कोर्स शामिल किया जाना चाहिए, ताकि शिक्षा-रोजगार के बीच के अंतर को पाटा जा सके। इस अंतर को पाटने में अप्रेंटिसशिप की भूमिका अहम साबित हो सकती है।
ड्राफ्ट में कहा गया है कि केवल वे नियोक्ता ही ट्रेनी को नियुक्त करने के पात्र होंगे, जिनके पास चार या इससे अधिक कर्मचारी हों। इतना ही नहीं एक फाइनेंशियल ईयर में प्रत्येक प्रतिष्ठान 2.5 प्रतिशत से 15 प्रतिशत के बीच ट्रेनीज को नियुक्त करेगा।
संविदा कर्मचारियों समेत प्रतिष्ठान की कुल क्षमता में से कम से कम 5 प्रतिशत नए ट्रेनी लिए आरक्षित रहेगी।
क्षेत्रीय बोर्ड की होगी स्थापनाः
अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग की राष्ट्रीय योजना को लागू करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय बोर्ड की स्थापना की जाएगी। चेन्नई, कानपुर, मुंबई और कोलकाता में स्वायत्त निकायों के रूप में अप्रेंटिसशिप या प्रेक्टिकल ट्रेनिंग के क्षेत्रीय बोर्ड की स्थापना की जाएगी।
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