आधुनिक युग में शुगर डैडी का टर्म वैसे रिश्ते के लिए किया जाता है, जिसमें दो लोग किसी भी तरह के फायदे के लिए संबंध बनाते हैं। इस तरह का रिश्ता कोई भी बना सकता है, चाहे वह लड़की हो या लड़का। इस तरह के रिश्ते में शारीरिक संबंध के बदले में पैसे और गिफ्ट की शर्त होती है।
हालांकि शुगर डैडी शब्द पहली बार चलन में तब आया था जब 1908 में कैलिफोर्निया के एक शुगर कंपनी के मालिक एडोल्फ स्प्रेकेल्स ने खुद से 24 साल छोटी लड़की से शादी की थी। उसके बाद कहानियों में शुगर डैडी शब्द का प्रयोग पहली बार 1923 में किया गया था। यह कहानी थी फैट अन्ना फ्यूचर इस कहानी में यह बताया गया था कि किस तरह एक अमीर आदमी ने एक महिला का सपोर्ट शुगर डैडी बनकर किया।
कितने तरह के होते हैं शुगर डैडी?
समय के साथ शुगर डैडी शब्द का अर्थ व्यापक हो गया और यह किसी लिंग तक सीमित नहीं रहा, यही वजह है कि अब शुगर डैडी और शुगर मॉम शब्द का प्रयोग होने लगा है. सोशियोलॉजिकल पर्सपेक्टिव्स नामक पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार आधुनिक समय में कई तरह के शुगर संबंध पाए जाते हैं. जो इस प्रकार हैं-
-शुगर वेश्यावृत्ति
-शुगर डेटिंग
-शुगर फ्रेंड
-शुगर लव
भारत में शुगर डैडी रिश्ते का चलन
19 शताब्दी में अमेरिका से शुरू हुआ शुगर डैडी का चलन भारत में कब पहुंच गया, संभवत: यह लोगों को पता भी नहीं चला। संभवत: यह सोशल मीडिया के प्रसार, संस्कृतियों के आदान-प्रदान की वजह से हुआ है. हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि भारत में किसी फायदे के लिए संबंध बनाने की संस्कृति पहले कभी नहीं थी. हां, यह जरूर है कि इस तरह के संबंध कम बनाए जाते थे लेकिन अब जबकि हम जेन बीटा के दौर में रह रहे हैं, शुगर डैडी कल्चर आम हो चुका है. शुगर डैडी कल्चर मेट्रो सिटी से निकलकर छोटे शहरों तक पहुंच चुका है।
झारखंड में है शुगर डैडी कल्चर
झारखंड की राजधानी रांची में भी आजकल के युवाओं में यह चलन आम हो गया है. शहर में जितने भी लाउंज और पब हैं, वे इसके सेंटर बन चुके हैं। इनके जरिए शुगर डैडी और शुगर डेटिंग का कल्चर रांची में चल रहा है. उद्देश्य यह है कि लड़के और लड़कियों को लेविश लाइफ स्टाइल चाहिए. इसके लिए या तो वे शुगर पार्टनर के लिए एप और वेबसाइट पर जाते हैं, या फिर इन लाउंज और पब में।
एमबीए की पढ़ाई कर रहे एक युवक ने बताया कि शुगर रिलेशनशिप में कोई जबरदस्ती नहीं होती है, आप चाहें तो ऑफर एक्सेप्ट करें या फिर ना करें. यह लोगों की च्वाइस है, इसलिए कोई समस्या नहीं होती है. मैंने रांची के लाउंज और पब में यह देखा है कि लड़के ड्रिक ऑफर करते हैं, अगर लड़की ने उसे एक्सेप्ट कर लिया मतलब वो शुगर रिलेशन के लिए तैयार है, इसमें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है. रांची जैसे शहरों में भी शुगर रिलेशनशिप की स्वीकार्यता यह बता रही है कि हमारा समाज एक बड़े बदलाव के दौर में है।
कौन होते हैं शुगर डैडी?
शुगर डैडी उन आदमियों को कहा जाता है जो अपनी उम्र से आधी से भी कम उम्र की लड़की को डेट करते हैं और उनपर बहुत ही ज्यादा पैसा खर्च करते हैं। वहीं लड़की को शुगर बेबी कहा जाता है। क्योंकि ये एक तरह का म्यूचुअल रिलेशनशिप होता है इसलिए शुगर डैडी अपनी शुगर बेबी को फायनान्शियल सपोर्ट देता है और उसकी हर तरह की जरूरत को पूरा करता है।
लड़कियों अधिक होती हैं शुगर डैडी की दीवानी?
कैसा हो अगर आपको एक ऐसा लड़का मिल जाए जो आपकी हर बात माने, आप कहो रात तो वो रात कहे, आप बोलो ये चाहिए तो वो सब ला दे! अच्छा लगेगा ना! बस अपनी इन्हें नीड को पूरा करने के लिए लड़कियां शुगर डैडी ढूंढती हैं। बदले में वो जब चाहे उनकी फिजिकल या सेक्सुअल नीड्स को पूरा करती हैं।
पैसों की जरूरत से बढ़ रहा है शुगर डेटिंग का ट्रेंड
आम डेटिंग से अलग इस डेटिंग में आने वाली कुछ लड़कियों को पैसों की जरूरत की वजह से तो कुछ लड़कियां अपनी सेक्सुअल नीड को पूरा करने के लिए शुगर बेबी बन जाती हैं। इसी तरह वो आदमी जिन्हें अपने पार्टनर से सैटिस्फैक्शन नहीं मिलता है या जिनकी सैक्सुअल नीड अधिक होती है वो शुगर डैडी बन जाते हैं। इसका एक ये पहलू भी है कि कभी-कभी इनके बीच इमोशनल कनेक्शन भी बन जाता है।
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