चित्रकूट की कहानी
चित्रकूट
चित्रकूट धाम भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के चित्रकूट जिले में स्थित एक शहर है। यह उस जिले का मुख्यालय भी है।
यह बुन्देलखंड क्षेत्र में स्थित है और यहां पर भी बुद्ध अवशेष मिले हैं यह भी तथागत बुद्ध की भूमि है, प्राचीन भारतीय बौद्ध अवशेष प्राप्त हुआ है, लेकिन बहुत सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक महत्व रखता है।
चित्रकूट भगवान राम की कर्म भूमि है। भगवान राम ने वनवास के 11 वर्ष चित्रकूट में बिताये थे। चित्रकूट मंदिरों का शहर और धार्मिक स्थल है।
भारत में हिन्दू धर्म के लिए तीर्थ यात्रा करना जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। इस चार धाम की तीर्थ यात्रा में चित्रकूट एक अहम पड़ाव है।
चित्रकूट एक ऐसी जगह है, जहां की यात्रा किए बिना आपकी तीर्थ यात्रा कभी पूरी नहीं होगी।
कामदगिरि पर्वत का विशेष महत्व
रामायण में कामदगिरि पर्वत का विशेष महत्व है जो कि चित्रकूट में स्थित है। ये वो जगह है जहां भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास के करीब 11 साल गुजारे थे।
इसके अलावा श्री राम के तप करने के कारण ये स्थान श्री राम की तपोभूमि कहलाई और इसी स्थान पर भरत-मिलाप हुआ था।
रामायण की पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्री राम ने इस पर्वत को छोड़ आगे बढ़ने की ठानी, तो पर्वत ने उन्हें चिंता जाहिर करते हुए बताया कि चित्रकूट की अहमियत सिर्फ श्री राम के वहां रहने तक ही थी, और उनके वहां से चले जाने के बाद उस जगह को कोई नहीं पूछेगा।
ये सुनकर भगवान श्री राम ने पर्वत को आशीर्वाद दिया कि जो कोई भी इस पर्वत की परिक्रमा पूरा करेगा, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी और चित्रकूट धाम की यात्रा भी इस पर्वत की परिक्रमा के बाद ही संपन्न मानी जाएगी।
इच्छा पूरी करने वाले पहाड़ के नाम पर ही इस पर्वत का नाम कामदगिरि रखा गया है और मौजूदा समय में हजारों श्रद्धालु अपने मन में इच्छाएं लेकर आते हैं और उन्हें पूरी करने की मुराद के साथ कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करते हैं।
ऐसे शुरू होती है परिक्रमा
मौजूदा समय में कामदगिरि पर्वत की 5 कि.मी. लंबी परिक्रमा की शुरुआत भी रामघाट में डुबकी के साथ ही होती है।
ऐसी मान्यता है कि चित्रकूट में अपने निवास के वक्त श्रीराम इसी घाट में स्नान किया करते हैं और उन्होंने अपने पिता दशरथ का पिंड दान भी मंदिकिनी नदी के किनारे बने इस घाट पर ही किया था।
इस घाट पर शाम को आरती में शामिल होकर लोग अध्यात्म के करीब आ जाते हैं। परिक्रमा के रास्ते में ही भगवान कामतानाथ का मंदिर है।
यहां की मान्यता है कि कामतानाथ भगवान राम का ही एक रूप थे। मंदिर में कामतानाथ के साथ कामदगिरि देवी की भी पूजा की जाती है।
ब्रह्मा जी ने किया था यज्ञ
चित्रकूट आध्यात्मिक और धार्मिक आस्था का सर्वश्रेष्ठ केंद्र माना जाता है. यह वह भूमि है, जहां पर ब्रह्म, विष्णु और महेश तीनों देव का निवास है।
भगवान विष्णु ने भगवान राम रूप में यहां वनवास काटा था, तो ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के लिए यहां यज्ञ किया था और उस यज्ञ से प्रगट हुआ शिवलिंग धर्मनगरी चित्रकूट के क्षेत्रपाल के रूप में आज भी विराजमान है।
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