रांची। झारखंड में चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 खत्म होने में सिर्फ नौ दिन बच गये हैं। लेकिन अब तक बजट का 95 हजार करोड़ रुपए ही खर्च हो पाया है।
बचे हुए नौ दिनों में सरकार के समक्ष करीब 26 हजार करोड़ रुपए खर्च करने की चुनौती है।
जानकार बताते हैं कि इस अवधि में ज्यादा से ज्यादा तीन हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा सकते हैं।
ऐसे में कुल बजट राशि में से करीब 23 हजार करोड़ रुपए सरेंडर होने की संभावना है।
चालू वित्तीय वर्ष के लिए 1.16 लाख करोड़ रुपए का मूल बजट था।
इनमें 70,900 करोड़ का योजना बजट शामिल था। राज्य सरकार ने अंतिम तिमाही में 4100 करोड़ रुपए बढ़ोतरी कर योजना बजट का आकार 75 हजार करोड़ रुपए कर दिया।
इससे बजट आकार बढ़कर 1.20 लाख करोड़ रुपए हो गया।राज्य में पहली बार योजना आकार बढ़ाया गया है। पहले योजना आकार को अंतिम तिमाही में घटाया जाता था।
इस बार ऐसा इसलिए किया गया कि सरकार के पास संसाधनों की स्थिति बेहतर थी। ऊर्जा विभाग के उदय स्कीम के तहत बिजली निगमों के लिए जो 70 हजार करोड़ रुपए दिए गए थे, वह केंद्र से वापस मिल गया।
केंद्रीय सहायता और अनुदानों में भी बढ़ोतरी हुई।
फरवरी तक बजट में से 86 हजार करोड़ यानी 68 प्रतिशत राशि खर्च हुई थी। योजना और गैर योजना को मिलाकर खर्च हुई राशि 71 प्रतिशत थी।
मार्च में अधिकतम 20 हजार करोड़ खर्च होने की संभावना है। इस स्थिति में लगभग 23 हजार करोड़ रुपए सरेंडर होने की स्थिति है।
6 मार्च से राज्य सरकार ने योजनाओं की राशि का इस माह में अधिकतम 15 प्रतिशत राशि ही निकालने की शर्त लगा दी है।
इससे भी ट्रेजरी से राशि निकालने की गति थोड़ी धीमी हो गई है।
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