Sharadiya Navratri 2025:
नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान और तप की देवी कहा जाता है। मां ब्रह्मचारिणी ने ही भगवान शिव को पति रूप प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी।
आइए जानते हैं इस दिन की खास बातें….
नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा करने का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमण्डल है। शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
अब आपको बताते है मां दुर्गा के नौ रूपों में से ब्रह्मचारिणी नाम कैसे पड़ा
हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। उन्हें त्याग और तपस्या की देवी माना जाता है। अपनी इस तपस्या की अवधि में इन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यन्त कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया। आचार्य बालकृष्ण मिश्रा के मुताबिक, देवी ब्रह्मचारिणी भगवती दुर्गा की नव शक्तियों में इनका दूसरा रूप माना जाता है। शास्त्रों में ऐसा उल्लेख आया है कि माता ब्रह्मचारिणी पूर्व जन्म में राजा हिमालय के घर मैना के गर्भ से उत्पन्न हुईं। देवर्षि नारद के कहने पर माता ब्रम्हचारिणी शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए जंगल में जाकर हजारों वर्ष केवल फल खाकर कठिन तपस्या की। पुनः शिव को विशेष प्रसन्न करने के लिए ब्रह्मचारिणी ने 3000 वर्ष तक वृक्षों से गिरे सूखे पत्तों को खाकर कठिन तपस्या की। ब्रह्मचारिणी मां की उपासना एवं आराधना करने से भक्तों को अनेक प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती हैं, जैसे तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार इत्यादि की वृद्धि होती है। इनकी कृपा से भक्तों को सर्वत्र विजय की प्राप्ति होती है एवं जीवन की अनेक प्रकार की परेशानियां भी समाप्त हो जाती हैं। माता ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्षमाला, बाएं हाथ में कमंडल होती है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा इस मंत्र से की जाती है
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
(अर्थात जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें।)
अब पको बताते है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कैसे करे
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, फिर स्वच्छ वस्त्र पहनकर घर के मंदिर में माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। माँ को सफेद या पीले फूल, अक्षत, रोली और चंदन अर्पित करें। इसके बाद दूध से बने भोग और मिश्री का नैवेद्य लगाएं। फिर बताये गये मां के मंत्र का जाप करें या दुर्गा चालीसा का पाठ करें, और अंत में घी-कपूर के दीपक से आरती उतारकर पूजा संपन्न करें। पूजा संपन्न होने के बाद मां से आशीर्वाद लेकर अपना व्रत तोड़ें।
इसे भी पढ़ें
Sharadiya Navratri 2025: इस बार 10 दिनों का होगा शारदीय नवरात्र, इस दिन मनेगी विजयादशमी