रांची। टेंडर कमीशनखोरी के मामले में झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री आलमगीर आलम को रिमांड पर लेकर ईडी के अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं।
मंगलवार को विभाग के पूर्व सचिव आईएएस मनीष रंजन से भी 8 घंटे की पूछताछ हुई। इस बीच आलमगीर के करीबी हाकिम के बारे में सनसनीखेज जानकारी सामने आई है।
हाकिम, जिसके पास वर्ष 2020 में पांच हाइवा हुआ करता था, आज की तारीख में उसके नाम से 107 हाइवा व जेसीबी हैं।
वर्ष 2020 वही साल है, जब आलमगीर का ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री होने का सफर शुरु हुआ था।
हाकिम की तरक्की इतनी तेजी से कैसे हुई, यह समझना ज्यादा मुश्किल काम नहीं है। इन गाड़ियों की अनुमानित कीमत करीब 100 करोड़ है।
हाकिम ने सभी वाहनों की रजिस्ट्रेशन पाकुड़ से ही कराई है। हाकिम के नाम से गाड़ियां होने के दस्तावेज लगातार न्यूज नेटवर्क के पास उपलब्ध हैं।
जानकारी के मुताबिक, हाकिम ने 107 वाहनों को खरीदने के लिए अलग-अलग बैंकों से लोन लिया है।
जिन बैंकों से हाकिम ने लोन लिया है, उनमें एसबीआई, सीआईएफसीएल, एमएमएफएसएल, एक्सिस बैंक, एचडीबी, आईबीएल, कोटक, फेडरल, टीएमएफ, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और टाटा कैपिटल बैंक शामिल हैं।
बताया जाता है कि हाकिम की सारी गाड़ियां सरकारी कांट्रैक्ट के काम में लगते हैं। ठेकेदारों की मजाल नहीं कि, वो हाकिम को छोड़ किसी दूसरे की गाड़ी का इस्तेमाल कर सकें।
बताया जाता है कि हाकिम भले ही पाकुड़ का रहने वाला है, लेकिन पिछले चार सालों से उसका अधिकांश वक्त रांची में ही गुजरता रहा है।
सप्ताह में तीन-चार दिन वह रांची में ही रहता था और मंत्री आलमगीर आलम के आसपास होता था।
उल्लेखनीय है कि मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल के करीबी जहांगीर के आवास में छापेमारी कर ईडी ने 35 करोड़ रुपये जब्त किए थे।
इस मामले में ईडी ने संजीव लाल व जहांगीर को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद ईडी ने पूछताछ के लिए मंत्री आलमगीर आलम को बुलाया था।
दो दिन तक चली पूछताछ के ईडी ने उन्हें 15 मई को गिरफ्तार कर लिया था। वह अभी ईडी के रिमांड पर हैं।
वर्ष वाहनों की संख्या:
- 2020: 05 वाहन
- 2021: 10 हाइवा
- 2022: 36 हाइवा व जेसीबी
- 2023: 61 हाइवा व जेसीबी
- 2024: 05 हाइवा
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