Yogi Adityanath:
वाराणसी, एजेंसियां। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि आने वाले समय में संस्कृत भाषा दुनिया को जोड़ने वाली भाषा बनेगी। उन्होंने कहा कि भारत की यह प्राचीन भाषा न केवल आध्यात्मिक ज्ञान की वाहक है, बल्कि यह विश्व कल्याण का मार्ग भी दिखाती है।
मुख्यमंत्री योगी अपने दो दिवसीय दौरे के पहले दिन वाराणसी के शिवपुर स्थित अन्नपूर्णा ऋषिकुल ब्रह्मचर्याश्रम संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए। यह आयोजन काशी अन्नपूर्णा अन्न क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा संचालित सिलाई-कढ़ाई एवं कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र के 14वें सत्रांत के अवसर पर हुआ। इस दौरान उन्होंने लगभग 250 बालक-बालिकाओं को सिलाई मशीन, लैपटॉप और प्रमाणपत्र वितरित किए।
योगी ने कहा
योगी ने कहा कि दुनिया का पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला भारत की ही देन था और इसके छात्र महाज्ञानी पाणिनि ने जो संस्कृत व्याकरण रचा, वह आज भी अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने दुनिया का पहला संस्कृत महाकाव्य लिखा, जिससे भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक श्रेष्ठता सिद्ध होती है।मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि दिव्य ज्ञान का स्रोत है, जिसमें भाव और अध्यात्म दोनों निहित हैं। उन्होंने कहा कि इसी भाषा के माध्यम से भारत ने विश्व को “वसुधैव कुटुंबकम्” का संदेश दिया।
योगी ने महंत शंकर पुरी का किया धन्यवाद
योगी ने महंत शंकर पुरी का धन्यवाद करते हुए कहा कि अन्नपूर्णा आश्रम संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए सराहनीय कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने संस्कृत के उत्थान के लिए कई कदम उठाए हैं जिनमें छात्रवृत्ति, आवास-भोजन की सुविधा और उच्च स्तर पर शोध को बढ़ावा देना शामिल है।उन्होंने मिशन शक्ति कार्यक्रम से जुड़ी महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए चल रहे सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण कार्यक्रम की भी सराहना की और कहा कि यह नारी सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है।
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