रांची, एजेंसियां। राजधानी रांची समेत झारखंड बालू की कमी से जूझ रहा है। पिछले कई वर्षों से बालू का संकट बना हुआ है।
बालू घाटों से उठाव पर रोक इस संकट का कारण है। राज्य के ज्यादातर जिलों में यह संकट है और इसके कारण चोरी छुपे बालू बेचने का धंधा फल फूल रहा है।
इधर बालू की कीमतें आसमां छू रही है। बालू की बढ़ी कीमतों के कारण घर बनाना मुश्किल हो गया है।
निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। रियल इस्टेट सेक्टर डावांडोल है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने राज्यस्तरीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (सिया) का गठन कर दिया है, ताकि एनजीटी से बालू उठाव की मंजूरी प्राप्त की जा सके।
चूंकि बालू घाटों के संचालन के लिए इंवायरमेंटल क्लीयरेंस जरूरी है, इसमें सिया की भिमका प्रभावी होगी।
सिया का गठन नहीं होने से राज्य को एनजीटी से क्लीयरेंस मिलने में दिक्कत हो रही थी। सिया के गठन के बाद उम्मीद की जा रही है कि राज्य में बालू की किल्लत दूर हो सकेगी।
बता दें कि राज्य पिछले छह माह से सिया के गठन का इंतजार था। इसका गठन नहीं होने के कारण कारण घाटों का टेंडर और बालू का उठाव नहीं हो पा रहा था।
टेंडर के बावजूद नहीं हो पा रहा उठाव
बताते चलें कि झारखंड में 444 बालू घाट हैं। राज्य के कई जिलों में घाट का टेंडर पहले ही हो चुका है।
लेकिन, इंवायरमेंटल क्लीयरेंस नहीं मिलने के कारण टेंडर की पूरी प्रक्रिया अधूरी थी। वहीं, रांची की बात करें, तो यहां भी 19 घाटों में से 18 का टेंडर हो चुका है, पर बालू का उठाव नहीं हो पा रहा है।
रांची में फिलहाल बालू प्रति हाइवा (छोटा) 30 हजार रुपये और बड़ा हाइवा 60 हजार रुपये है। बालू के दाम सुनकर ही लोगों के पसीने छूट रहे हैं।
पर सिया के गठन के बाद अब राज्य के लोगों में उम्मीद जगी है कि बालू के भाव नियंत्रण में आयेंगे।
बताते चलें कि सिया से इंवायरमेंटल क्लीयरेंस मिलने के बाद बालू घाट संचालन के लिए झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से कसेंट टू एस्टेबलिश (सीटीई) और कंसेंट टू एस्टेबलिश (सीटीई) मिलता है। इसके बाद ही बालू उठाव के लिए एनजीटी से एनओसी लिया जा सकता है।
राज्यस्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरणः
अध्यक्ष-कमलेश पांडे, भारतीय वन सेवा (सेवानिवृत्त)।
सदस्य, डा. कीर्ति अविषेक, सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग, बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान
सदस्य सचिव, मुख्य वन संरक्षक, सतर्कता, वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग, झारखंड।
राज्यस्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समितिः
अध्यक्ष-अशोक कुमार सिंह, भारतीय वन सेवा (सेवानिवृत्त)
सदस्य- निरंजन लाल अग्रवाल
सदस्य- डा. राजू कुमार
सदस्य- अशोक कुमार दुबे।
सदस्य-डा. अजय गोविंद भट्ट
सदस्य सचिव- मंडल वन अधिकारी
चेंबर ने लिखा पत्रः
इधर झारखंड चैंबर आफ कामर्स ने बोर्ड के सदस्य सचिव को पत्र लिखा है। इसके माध्यम से कहा गया है कि बोर्ड का सिंगल विंडो सिस्टम इतना सरल किया जाना चाहिए जिससे कोई भी इच्छुक उद्यमी अपनी सुविधानुसार सीटीओ/सीटीई प्राप्त कर सके।
चैंबर के सह सचिव अमित शर्मा और शैलेश अग्रवाल ने कहा कि सीटीओ/सीटीई मिलने में होने वाली कठिनाइयां नियमित रूप से हमारे संज्ञान में आ रही हैं।
उद्यमियों की सुविधा को देखते हुए ही बोर्ड द्वारा सिस्टम को आनलाइन किया गया था परंतु अब भी बिना मानवीय हस्तक्षेप के यह काम नहीं हो रहा है।
निदेशक बोले-जल्द दूर होगी समस्याः
इस संबंध में खान एवं भूतत्व निदेशक शशि रंजन का कहना है कि सिया का गठन हो चुका है। इससे इंवायरमेंट क्लीयरेंस बालू घाट के लिए मिल सकेगा।
इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से सीटीई और सीटीओ की स्वीकृति ली जाएगी।
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