दूसरी शादी के बाद भी पति से ले सकेंगी गुजारा भत्ता
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले ने मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं दूसरी शादी के बाद भी अपने पहले पति से गुजारा भत्ता की हकदार होंगी। कोर्ट ने ये फैसला प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन डाइवोर्स एक्ट 1986 का हवाला देते हुए सुनाया है।
जस्टिस राजेश पाटिल की बेंच ने कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है, जिसके आधार पर किसी तलाकशुदा मुस्लिम महिला को दोबारा शादी करने के बाद गुजारा भत्ता से रोका जा सके। बता दें कि गुजारा भत्ता पाने के इस मुकदमे में बांबे हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को उलटते हुए ये निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने महिला के पूर्व पति की याचिका को खारिज कर दिया।
यह है मामला
महाराष्ट्र की रहने वाली महिला की शादी 2005 में हुई थी। इसके बाद दंपति को एक बेटी भी हुई। शादी के दूसरे ही साल पति रोजगार के लिए सऊदी अरब चला गया। महिला अपने सास-ससुर के साथ रत्नागिरी में रहने लगी। 2007 आते-आते अकेली महिला का सास-ससुर से संबंध बिगड़ने लगा। इससे तंग आकर महिला 2007 में अपने माता-पिता के घर चली गयी।
रिश्ते को सामान्य करने के लिए दोनों पक्ष की ओऱ से कई कोशिश हुई। लेकिन संबंध और बदतर होते चले गये। इससे तंग आकर महिला के पति ने 2008 में उसे तलाक दे दिया। महिला ने गुजारा भत्ता के लिए याचिका दाखिल दिया। जिसे चिपलुन की निचली अदालत ने खारिज कर दिया। इसके बाद महिला ने बॉम्बे HC का रुख किया। यहां उसके हक में फैसला सुनाया गया।
पहले पति से तलाक के बाद महिला का ये दूसरा विवाह था। लेकिन ये विवाह भी बहुत दिन नहीं टिक सका। आर्थिक हालात खराब होने पर महिला ने अदालत का रुख किया। 13 साल मुकदमा लड़ने के बाद आखिर महिला के हक में फैसला आया। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी मुस्लिम महिला का अगर दूसरा विवाह भी सफल नहीं होता है, तो वो अपने दूसरे पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार होगी।
हां, पहले पति पर उसका कोई दावा नहीं बनेगा। अगर पहले पति से उसकी संतान है, तो फिर ये एक अलग मामला बनता है। संतान अधिरक्षण अधिनियम के तहत महिला उससे भी संतान के खर्च आदि की मांग कर सकती है।
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