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नई दिल्ली, एजेंसियां। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आजादी के बाद पहली बार लाल किले की प्राचीर से भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया था। हर साल 15 अगस्त को इसी परंपरा को निभाते हुए देश का प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराता है।
लाल किला
लेकिन सवाल उठता है कि तिरंगा केवल लाल किले पर ही क्यों फहराया जाता है, जबकि मुगलों की अन्य ऐतिहासिक इमारतों जैसे ताजमहल या फतेहपुर सीकरी पर क्यों नहीं?इसका जवाब है कि लाल किला 17वीं सदी में मुगल बादशाह शाहजहां ने बनवाया था और यह सत्ता का केंद्र रहा है। यह भारत के इतिहास में शासन और भव्यता का प्रतीक माना जाता है। अंग्रेजों ने इसे कब्जा कर अपना झंडा फहराया था। 15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब नेहरू ने इसी किले की प्राचीर से अंग्रेजों का झंडा उतारकर तिरंगा फहराया, जो भारत की आजादी का प्रतीक बन गया।
लाल किला का महत्व
लाल किला न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि यह राष्ट्रीय गौरव और एकता का प्रतीक भी है। दिल्ली की राजधानी में स्थित होने के कारण यह समारोहों के लिए उपयुक्त स्थल है। जबकि ताजमहल एक स्मारक है, लाल किला भारतीय शासकीय और राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है।
क्या है लाल किला का असली नाम ?
लाल किले का असली नाम किला-ए-मुबारक है, जिसका निर्माण 1638 में शुरू हुआ था और 10 साल में पूरा हुआ। यूनेस्को ने इसे 2007 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। आज यह सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास की जीवंत धरोहर है।
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